कर्नाटक का रण: सरकार बनाने को लेकर फंसा पेंच
- 151000001 - PRABHAKAR DWIVEDI
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कर्नाटक से होकर दक्षिणी राज्यों में सत्ता का विजयरथ दौड़ाने के लिए जोर लगा रही भाजपा प्रवेश द्वार पर पहुंच गई है। राज्य विधानसभा चुनावों के मंगलवार को घोषित नतीजों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। हालांकि वह बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल नहीं कर सकी। अब तक के नतीजों में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78, जदएस को 38 और अन्य को दो सीटें मिली हैं।
प्रदेश की सत्ता की दौड़ में पिछड़ी कांग्रेस ने भाजपा को सरकार बनाने से दूर रखने के मिशन में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जदएस को समर्थन का एलान कर दिया और देवगौड़ा के पुत्र एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया। इसे जदएस ने बिना देर किए स्वीकार कर लिया। कुमारस्वामी ने तत्परता दिखाते हुए राज्यपाल वजूभाई वाला को पत्र लिखकर सूचित किया कि उन्होंने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन स्वीकार कर लिया है।
बाद में वह कांग्रेसी नेताओं के साथ राज्यपाल से मिलने भी पहुंचे। लेकिन दोनों पार्टियों के मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में पेंच फंस गया। कांग्रेस के कुछ लिंगायत विधायकों ने कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध कर दिया है। खबर यह भी आ रही है कि कांग्रेस अपने विधायकों को पार्टी छोड़ने के डर से आंध्र प्रदेश या पंजाब भेजने की योजना बना रही है।दूसरी ओर, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येद्दयुरप्पा भी सरकार बनाने दावा करने शाम को राज्यपाल से मिलने पहुंचे। उनका कहना है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का पहला मौका भाजपा को मिले।
पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने स्थिति संभालने के लिए दिल्ली से तीन वरिष्ठ नेताओं को बेंगलुरु भेजा है। इस तरह अब सबकी नजरें राज्यपाल के रुख पर हैं। सूत्रों ने बताया है कि राज्यपाल आधिकारिक तौर पर पूरे नतीजे घोषित होने के बाद ही कोई अगला कदम उठाएंगे।
10 मंत्री हारे
निवर्तमान मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था। वह बादामी सीट से तो जीत गए, लेकिन अपनी परंपरागत सीट चामुंडेश्वरी भारी अंतर हार गए। इसी तरह उनके करीबी सहयोगी एचसी महादेवप्पा भी नरसीपुरा से हार गए। दोनों को जदएस के प्रत्याशियों ने पराजित किया। चुनाव हारने वाले आठ अन्य मंत्रियों में रामनाथ राय, एच. अंजनेया, डॉ. शरन प्रकाश रुद्रप्पा पाटिल, एसएस मल्लिकार्जुन, कागोदू थिमप्पा, बसवराज रायरेड्डी, रुद्रप्पा लमानी और प्रमोद मध्वराज शामिल हैं। इन सभी को भाजपा उम्मीदवारों ने शिकस्त दी।
विभाजनकारी जातिवाद खारिज
-बाकी देश की तरह कर्नाटक की महान भूमि ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ, पारदर्शी और विकासोन्मुख शासन पर दृढ़ विश्वास व्यक्त किया है। इस जनादेश से साफ है कि कर्नाटक ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार, वंशवादी राजनीति और विभाजनकारी जातिवाद को खारिज कर दिया है।- अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष
विकास के एजेंडे को मिला समर्थन
-भाजपा के विकास के एजेंडे को लगातार समर्थन देने और भाजपा को राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनाने के लिए मैं कर्नाटक के बहनों और भाइयों को धन्यवाद देता हूं।- नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
कांग्रेस को वोट देने वालों को धन्यवाद
-इन चुनावों में जिन्होंने भी कांग्रेस को वोट दिया, उन सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद। हम आपके समर्थन की सराहना करते हैं और हम आपके लिए लड़ेंगे।- राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष
कर्नाटक विधानसभा : दलीय स्थिति
कुल सीटें : 224
चुनाव हुए : 222
बहुमत का अांकड़ा : 112
भाजपा : 104
कांग्रेस : 78
जदएस + : 38
अन्य : 02
सरकार गठन का संभावित गणित :
कांग्रेस + जदएस+ : 116
भाजपा : 104 (8 की जरूरत, कहां से आएंगे स्थिति स्पष्ट नहीं)