यूपी अमेठी। जिले में सात गांव ऐसे हैं। जिन्हें सैकडों साल पहले राजा टोडरमल ने बसाया था। 1951 में जमींदारी उन्मूलन के बाद इन गांवों का नाम तहसील के अभिलेखों में बाकायदा दर्ज किए गए, जबकि यहां रहने वाला कोई नहीं था। गांव का नाम सुनने के बाद उसमें रहने वालों की बात होती है और फिर गांव के विकास की। इन्हीं के बीच कुछ गांव ऐसे भी हैं जिनका नाम सरकारी अभिलेखों में दर्ज तो है पर जमीन पर कहीं आबाद नहीं हैं। ऐसे गांवों को गैर चिरागी का नाम दे दिया गया है। यूपी में ऐसे गांव की अलग-अलग अनोखी कहानियां हैं। कई जिलों में ऐसे गांवों में कर्मचारी तक तैनात है। अमेठी जिले में ऐसे करीब सात गांव हैं। बस्ती जिले में ऐसे कई गांवों में कर्मचारी तक तैनात मिलने की बात से बखेड़ा बना। देवरिया में एक ऐसा भी सच देखने में आया जहां एर गैर चिरागी गांव को ओडीएफ बनाया गया। बाद में मामले को किसी तरह निपटाने के प्रयास किए गए। अमेठी जिले में ऐसे कुल सात गांव हैं। इन गांवों में मकान के अवशेष तक नहीं बचे हैं। खाली पड़ी जमीनों पर खेती की जा रही है। उपजिलाधिकारी मोतीलाल यादव ने बताया कि भू अभिलेख राजा टोडरमल के समय के हैं। आजादी मिलने के बाद सरकार ने 1951 में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम लागू किया। इसके बाद राजस्व अभिलेखों में राजस्व गांव व परगना का गठन किया गया। अमेठी जिले का गठन चार तहसीलों को मिलाकर किया गया है।