हिमाचल। इंडो-तिब्बत बॉर्डर को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे-5 ठियोग के पास वाहनों की आवाजाही के लिए सुबह के वक्त पूरी तरह बंद हो गया। करीब सात बजे सड़क धंसने से बंद हाईवे करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद वन-वे किया जा सका, लेकिन मौके पर अभी भी खतरा बरकरार है। ठियोग बस स्टैंड से करीब 400 मीटर शिमला की ओर एनएच बीती रात से ही धंसना शुरू हो गया था। लेट-नाइट भारी बारिश की वजह बार-बार मिट्टी और पत्थर गिरते रहे। बताया जा रहा है कि मौके पर डंगे के लिए गहरी नींव खोदने और बारिश से यह सड़क धंसी है। सुबह के वक्त सड़क का अधिकांश हिस्सा पूरी तरह बैठ गया। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने मौके पर सड़क के ऊपरी हिस्सें जेसीबी से कटिंग की और थोड़ा चौड़ा किया। तब जाकर सड़क को वाहनों के लिए खोला जा सका। लगभग 9 बजे तक ऊपरी शिमला का राजधानी से पूरी तरह संपर्क कटा रहा।
ठियोग में एनएच बंद होने से स्थानीय लोगों सहित अप्पर शिमला के कोटखाई, सैंज, चौपाल, नेरवा, रामपुर, किन्नौर, कुमारसैन, नारकंडा, मत्याना इत्यादि क्षेत्रों के लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इससे कामकाजी लोग दफ्तर और बच्चे समय पर स्कूली नहीं पहुंच पाए। सड़क के दोनों और वाहनों की लंबी-लंबी कतारे लग गई। ठियोग में बीते छह साल से 2.3 किलोमीटर लंबे बाइपास का काम चला हुआ है। राज्यों सरकारों और पीडब्लूडी विभाग की अनदेखी से इसका काम कछुआ गति से आगे बढ़ रहा है। स्थानीय लोग कई बार इसके काम में तेजी लाने के लिए सड़कों पर भी उतर गए है। पूर्व विधायक राकेश सिंघा इस मामले को विधानसभा में भी उठाते रहे हैं। बावजूद इसके मात्र 2.3 किलोमीटर लंबी सड़क का काम अर्से से लटका हुआ है। देरी के कारण लगभग 37 करोड़ से बनने प्रस्तावित इस प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़कर लगभग 60 करोड़ हो गई। ऐसे में यदि बाइपास बन गया होता तो लोगों को परेशानियों से नहीं जूझना पड़ता।
शिमला पुलिस ने ठियोग एनएच पर भूस्खलन को देखते हुए वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। रोहड़ू, कोटखाई और चौपाल से शिमला की ओर आने-जाने वाले लोग सैंज-धमांधरी-फागू सड़क होते हुए राजधानी पहुंच सकते है। इसी तरह शिमला से रोहड़ू, कोटखाई व चौपाल जाने वाले लोग सोलन से रोहड़ू, कोटखाई तथा चौपाल जाने वाले वाहन वाया सैंज-बलग-सोलन रोड़ का इस्तेमाल तथा रामपुर से शिमला आने-जाने वाले यात्री वाया सुन्नी-बसंतपुर सड़क से अपने गंतव्य तक पहुंच सकते हैं।
