लुधियाना। अंग्रेजों के जमाने में बने आर्य स्कूल में 110 साल बाद भी शिक्षा की लौ जल रही है। आज भी इस स्कूल की पुरानी इमारत, दशकों पुराने पंखे और गार्डर से बनी छतें ध्यान आकर्षित करती हैं और पुरातन निर्माण कला की याद दिलाती है। 21वीं सदी के बच्चे इस धरोहर को देखकर दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। 110 साल के सफर में इस स्कूल ने जहां इमारत को संजोकर रखा है। वहीं इस स्कूल ने शहर एवं देश को कई होनहार दिए हैं। बालीवुड एवं पालीवुड भी इस पुरातन निर्माण कला का कायल रहा है। कई फिल्मों की शूटिंग भी इस स्कूल के परिसर में हो चुकी हैं। सीनियर सेकेंडरी स्कूल में इस समय 1500 विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। आर्य समाज ने साबुन बाजार में साल 1889 में स्कूल शुरू किया था, जिसे बाद में साल 1913 में पुरानी सब्जी मंडी में स्थापित किया। पिलरों पर की गई नक्काशी आज भी बरकरार है। 110 साल पुरानी बिल्डिंग का जिक्र करना भी अपने आप में बड़ी बात है। बात बालीवुड या पालीवुड की करें तो वहां भी इस स्कूल की खासी चर्चा है। अंग्रेजों के जमाने में बनाई गई चीजें आज भी स्कूल में उपलब्ध है, जिसे पुरानी धरोहर के तौर पर संजोया हुआ है। स्कूल में यूअरआनर वेब सीरीज की शूटिंग भी हो चुकी है। वहीं काके दा विवाह, वार्निंग फिल्मों की शूटिंग भी इस स्कूल में हो चुकी है। स्कूल की दो मंजिला इस इमारत में 50 से अधिक कमरे हैं। कमरों की ऊंचाई भी 20-20 फीट से ऊपर है। इस बिल्डिंग में आज भी किसी खास रिपेयर की जरूरत नहीं है। पौने दो किले में बने इस स्कूल की छतों के लिए जो गार्डर का इस्तेमाल हुआ है, वह उस समय जहाज के जरिए जर्मनी से मंगवाया गया था। लुधियाना के यह सबसे पुराने स्कूलों में गिना जाने वाला स्कूल है। निर्माण के समय इस लाल रंग से पेंट किया गया था। उसके बाद से आज तक इस पर किसी दूसरे रंग का पेंट नहीं किया गया।स्कूल की स्थापना से लेकर अब तक यहां हजारों की संख्या में विद्यार्थी शिक्षा ले चुके हैं। अभी भी यह सफर जारी है। यहां से कई नामी शख्सियतें पढ़कर देश में नाम रोशन कर चुकी हैं। देश के उपराष्ट्रपति रहे जीएस पाठक के अलावा पूर्व थल सेना अध्यक्ष टीएन रैना, क्रिकेटर यशपाल शर्मा इत्यादि ऐसे नाम हैं, जो इसी स्कूल से शिक्षा ले चुके हैं। इस स्कूल से पढ़कर ही देश की कई महान शख्सियतें आगे आई हैं।