राजस्थान | जहां बारिश खुशियां लेकर आती है, वहां सावन में गांव-गांव आंखों से झरने बह रहे हैं। लंपी के कहर ने यहां हर आंगन में तांडव मचाया हुआ है। किसी की एक-दो तो किसी की पांच-पांच गाय दम तोड़ चुकी हैं। कुछ का शरीर इतना गल चुका है, तड़पते हुए सांस लेने का प्रयास कर रही हैं...बस। देखने वालों के दिल दहल जा रहे हैं। हर आंगन में मातम है और गांव के बाहर बुल्डोजर मरी हुई गायों को एक के ऊपर एक डाल गड्ढे भरने में लगे हुए हैं। यहां हवाओं में बरसात के समय आने वाली मिट्टी की सौंधी खुशबू की बजाय दुर्गंध बस गई है। राज्य सरकार के अनुसार प्रदेश में लंपी से मरनेवाली गांयों का आंकड़ा 64 हजार से कुछ अधिक है, लेकिन सरपंच संघ की ओर से जुटाए आंकड़ों के अनुसार इस रोग से 6 लाख से अधिक गायें मारी गई हैं। राजस्थान के सभी 33 जिलों में लंपी का कहर है और सबसे अधिक प्रभावित नागौर है। नागौर के आलनियावास व जसनगर गांवों ने राज्य सरकार के प्रयासों की पोल खोल दी है। इस गांव के किसान अमरचंद की पत्नी सीता ने बताया, गौ माता के भरोसे पूरा परिवार पल रहा था। 9 गायों को बच्चियों की तरह पाला था, इनमें से 6 हमारे सामने दम तोड़ गईं। शेष 3 भी लंपी से तड़प रही हैं। इलाज बेअसर है। समझ नहीं आता अब क्या करें। लंपी का प्रकोप राजस्थान में ही नहीं पूरे देश में फैला है। राजस्थान सरकार तेजी से टीकाकरण कर रही है। 11 लाख से अधिक गोवंश को टीके लगाए जा चुके हैं। 13 लाख से अधिक गोवंश संक्रमित हुए, जिनमें से अधिकतर का उपचार किया गया। अब रिकवरी रेट बढ़ रही है मृत्यु दर कम हो रही है। -लालचंद कटारिया, पशुपालन मंत्री एक साल से लंपी संक्रमण फैलता रहा और राजस्थान सरकार सोती रही। गांवों के सरपंच और भाजपा आवाज उठाते रहे, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया। टीकाकरण भी तब शुरू हुआ, जब लाखों गाय मर गईं। -राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष, राजस्थान युवाओं ने जयपुर से 255 किमी दूर हनुमानगढ़ हाईवे पर लंपी संक्रमित गायों के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाया है। हालांकि यहां का दृश्य भी दिल दहलाने वाला है। गो सेवक कुंदन पारीक ने बताया, करीब 1300 मृत गोवंश को अब तक दफना चुके हैं, जबकि करीब 400 का इलाज चल रहा है। केंद्रीय डेयरी विभाग के एक अधिकारी ने बताया, संक्रमण से गोवंश की लगातार मौत के बावजूद कई राज्यों में अब भी इस बीमारी से निपटने में कोताही नजर आ रही है। यह स्थिति तब है जब केंद्र सरकार जरूरी एडवाइजरी से लेकर टीके उपलब्ध कराने तक हर संभव मदद के लिए दिन-रात लगी हुई है। अधिकारी ने दो राज्यों का बिना नाम लिए हुए बताया, ये पशुओं के संक्रमण व टीकाकरण की स्थिति नियमित रूप से केंद्र से साझा नहीं कर रहे हैं। कुछ राज्य वास्तविक आंकड़े कम करके बता रहे हैं।