प्रयागराज।आज भागवत कथा के श्रवण का सौभाग्य वाँसूरी वाले गोविंद और पूर्वजो के कृपा से पृतपक्ष में प्राप्त होती है। जब मन में भागवत कथा सुनने का दृढ़ संकल्प हो तो नारायण की कृपा हो ही जाती है। मनुष्य को भूख प्यास कथा सुनने की भी होना चाहिए। भगवत कथा से ही मनुष्य भवसागर पार कर जाता है। अच्छा होता सभी को भगवत कथा की भूख और प्यास रहे तो अच्छा भी लगेगा और मुक्ति की प्राप्ति भी होगी। राजा परिक्षित ने कहा मुझे भगवत कृपा विस्तार से सुननी है। सुखदेव जी प्रशन्न हुए नवम अध्याय तक सुखदेव स्वामी ने कथा सुनाई लेकिन दशम स्कंद भगवान के हृदय स्वारूप कथा सुनाने मे अस्मर्थ होने लगे है। यह अध्याय सुनाने का सामर्थ्य बिना स्यमं श्रीकृष्ण राधा के संभव नही था। वस निश्छल मन ने स्मरण करने की आवश्यकता होती है। उक्त बाते कथा बाचक विनोद विहारी गोस्वामी जी ने कृष्ण जन्मोत्सव,बाल लीला, गोवर्धन पूजा की कथा सुनाते हुए मुख्य यज्ञमान स्व. श्रीराम जी त्रिपाठी एवं उनकी धर्म पत्नी वेलाकली त्रिपाठी को सुनाते हुए कही। कथा बाचक विनोद विहारी गोस्वामी जी ने कहा मन का निरोग्य होना ही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। भगवत कथा के रहस्यो को सुनते हुए आत्मसार करना चाहिए। कथा में कृष्णजन्म की बाल झाकीं और दही के मटकी भक्तो को भावविभोर कर रही थी। वही संगीतमय कथा श्रोताओ के रोम-रोम कंपन कर रहे थें। कथा सुनने वाले यजमान और भक्तो में प्रमुख रूप से पं. रामबोला प्रसाद त्रिपाठी,ऊषा देवी,बद्रीनारायण त्रिपाठी,लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी,मुक्तिनारायण त्रिपाठी,चन्द्र नारायण त्रिपाठी,सुषमा देवी,रामेश्वरी देवी,कृष्णेश्वरी देवी,गंगेश्वरी देवी,शिवचरित द्धिवेदी,दिलीप कुमार चतुर्वेदी,कृष्ण जी त्रिपाठी,हरीनारायण,मनमोहन,दुर्गा लक्ष्मी के साथ त्रिपाठी,भरत जी त्रिपाठी,शत्रुघ्न जी त्रिपाठी,व्यास जी त्रिपाठी आदि के धर्मपत्नी सहित सैकडो़ के सख्यां मे श्रोताभक्तगण उपस्थित रहे। कथा के बाद आरती में सम्मलित रहकर भगवत कथा के प्रसाद ग्रहण किए। रिपोर्ट मनोज सिंह स्टेट ब्यूरो चीफ यूपी सेन्ट्रल