बुंदेलखंड यूपी ललितपुर- जनपद ललितपुर की तहसील मड़ावरा में मंगलवार 9 अगस्त को प्रशासन की देखरेख में मुहर्रम के दसवें दिन मुस्लिम समुदाय द्वारा नगर में ताजियों को निकालकर पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हसन हुसैन की शहादत के दिन को याद किया गया। निर्धारित रूट और प्रशासन की देखरेख में ताजियों पर फातिहा खानी होने उपरांत जामा मस्जिद से शुरू होकर रावत मुहल्ला, पुराना बाजार, बेरियल चौराहा, थाना परिसर और डाक बंगला के पास तक ताजियों को निकाला गया। इस दौरान निर्धारित स्थानों पर नवयुवकों द्वारा अखाड़ा भी खेला गया। शाम के समय थाना परिसर में ताजिया पहुंचने के उपरांत लंगर भी बांटा गया।
ताजियों को तय रूट से ले जाते हुए कर्बला जाने से पहले मुस्लिम समुदाय द्वारा हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हसन हुसैन को याद करते हुए मलसियां पढ़ी गईं। मलसिया पढ़ने के बाद तबर्रुक (प्रसाद) का वितरण किया गया, उसके बाद ताजिया कर्बला ले जाए गए। कर्बला यानी मड़ावरा तालाब पर ताजियों पर आखिरी फातिहा खानी पढ़कर पानी में ठंडा कर दिया गया। इस दौरान पुलिस प्रशासन मौजूद रहा। हिंदू मुस्लिम एकता की दिखी मिसाल। हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक माने जाने वाले मड़ावरा नगर में पहले की तरह इस वर्ष भी हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा ताजियों के मुकामों पर जाकर अगरबत्तियां लगाकर प्रसाद चढ़ाया गया। जनपद ललितपुर की तहसील मड़ावरा हमेशा से हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल कायम करती आई है। यहां हिंदू समुदाय के त्यौहारों में मुस्लिम समुदाय के लोग शिरकत करते हैं और हिंदू समुदाय के लोगों के साथ त्यौहार मनाते हैं। उसी क्रम में मुस्लिम समुदाय के त्योहारों में भी हिंदू समुदाय के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, और आपसी भाईचारे के साथ मिलजुलकर त्यौहार मनाते हैं। और पीस कमेटी की मीटिंग में भी हिंदू मुस्लिम एकता का जिक्र इसी वजह से हमेशा होता रहता है। मुहर्रम के दसवें दिन क्यों निकाले जाते हैं ताजिया। मुस्लिम धर्मालंबियों के मुताबिक इस्लामी वर्ष यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना मोहर्रम है। हिजरी वर्ष का आरंभ इसी महीने से होता है। इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। मुहर्रम माह की 10 तारीख को पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे (पोते), इमाम हसन और इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। आगे बताया गया है कि आशूरे के दिन यानी 10 मुहर्रम को एक ऐसी घटना घटित हुई थी, जिसका विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इराक स्थित कर्बला में हुई यह घटना दरअसल सत्य के लिए जान न्योछावर कर देने की जिंदा मिसाल है। इस घटना में हजरत मुहम्मद साहब के नवासे (पोते) हजरत हुसैन को शहीद कर दिया गया था। कर्बला की घटना अपने आप में बड़ी विभत्स और निंदनीय है। जिसके चलते इस दिन को रोज ए आशुरा कहते हैं। इस दिन को मुहर्रम के महीने का सबसे अहम दिन माना जाता है। इस दिन ताजिया निकाले जाते हैं और उन्हें कर्बला ले जाकर पानी में ठंडा (सिराया) कर दिया जाता है। पुलिस प्रशासन और विद्युत विभाग के कर्मचारी रहे मौजूद। मड़ावरा नगर में मोहर्रम के दिन ताजिया निकालने के दौरान शासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए थाना मड़ावरा प्रभारी प्रेमचंद्र मय पुलिस बल के मौजूद रहे और हर जगह अपनी निगाह रखे रहे। साथ ही शासन द्वारा निर्धारित गाइडलाइन जिनमें बिजली के तारों को हटाने का काम केवल विद्युत विभाग ही देखेगा, गाइडलाइन का पालन करते हुए विद्युत विभाग के कर्मचारी, संविदा कर्मी चप्पे चप्पे पर मौजूद रहे। मड़ावरा सेे दीपक तिवारी की रिपोर्ट,151163528