है बहुत अंधेरा अब सूरज निकलना चाहिए,
जिस तरह से भी हो यह मौसम बदलना चाहिए।
रोज जो चेहरे बदलते हैंलिबास की तरह,
अब जनाजा जोर से उनका निकलना चाहिए।
अब भी कुछ लोगों ने भेजी है ना अपनी आत्मा,
यह पतन का सिलसिला कुछ और चलना चाहिए।
फूल बनकर जो यहां जिया वह मसला गया,
जिस्म को फौलाद के सांचे में डालना चाहिए।
छीनता हो जब तुम्हारा हक कोई उस वक्त,
आंख से आंसू नहीं शोला निकलना चाहिए।
दिल जवान, सपने जवान ,मौसम जवान, सभी जवान,
तुमको मुझसे इस समय सुने में मिलना चाहिए। मेहनगर से रमेश चंद शर्मा की रिपोर्ट 15111916