शीर्षक - बरसो मेघा प्यारे
विधा - कविता
बहुत करी प्रतीक्षा हमने अब तो सुन लो न्यारे।
अब नही होता इंतजार कब बरसोगे मेघा प्यारे।।
तुम बिन इस धरती के मेघा सारे पौधे मुरझाये।
तुम बिन मेरे उपवन के अब पुष्प भी कुम्हलाये।।
तुम बिन मेघा सूख गई है उपवन की हर क्यारी।
जब तुम आते हो धरती पर दुनियाँ लगती न्यारी।।
अब तो सुन लो वर्षा से कर दो हरे जंगल सारे।
अब ना होता इंतजार कब बरसोगे मेघा प्यारे।।
जब तुम आते हो मेघा तब कुदरत भी मुस्काती।
तुझसे ही तो मेघा धरती अपनी प्यास बुझाती।।
तुम आते हो मेघा सब वन हरे भरे हो जाते हैं।
जंगल के पशु पक्षी अपनी मस्ती में खो जाते हैं।।
अब तो तुमको सब अगारे चमत्कार दिखाओ सारे।
अब ना होता इंतजार तुम कब बरसोगे मेघा प्यारे।।
नाम - विक्रांत चम्बली
पता - ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
ईमेल पता - ndlodhi2@yahoo.com
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