हे प्राणी! संसार बहुत विशाल है, तुम्हें इस संसार में मांने जीने के लिए भेजा है ,और यह भी कहां है कि तुम विशाल बनो यदि इस संसार में तुम विशाल नहीं बनकर अपनी आत्मा अपना ज्ञान अपने पुरुषार्थ को संसार की तरह नहीं बनाते हो ,तो कुएं के मेंढक की तरह ही रह जाओगे। तब मां को इससे बड़ा दुख होगा ,और मां को दुखी करके कोई अमरत्व को प्राप्त नहीं कर सकता।