वाराणसी : भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत को नए कलेवर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) के स्टाफ विपिन वर्मा द्वारा लिखित किताब का विमोचन संस्थान स्थित मुख्य लाइब्रेरी में हुआ। पुस्तक का विमोचन मुख्य अतिथि संस्थान के कार्यवाहक रजिस्ट्रार राजन श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि स्कूल आफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के समन्वयक प्रो. पीके राय, डिप्टी लाइब्रेरियन डा. नवीन उपाध्याय रहे
प्रो. पीके राय ने कहा कि यह पुस्तक 'प्रोजेक्ट लव टेम्पल', लेफ्ट और राइट ब्रेन के सही काम्बिनेशन का परिणाम है। मुख्य अतिथि राजन श्रीवास्तव ने कहा इतिहासकारों ने जब भारत का इतिहास लिखा तो वो हमारे भव्य मंदिरों को भूल गए। उन्होंने पुस्तक 'प्रोजेक्ट लव टेम्पल' की सराहना की और भारत के मंदिरों पर आधारित पूरे प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनायें दी।
इस अवसर पर किताब के लेखक विपिन वर्मा ने बताया कि यह किताब खजुराहों के भव्य मंदिरों पर आधारित है। इन मंदिरों का निर्माण किसने किया, इसके पीछे क्या विचारधारा थी, इन प्रश्नों का जवाब कल्पना (फिक्शन) के माध्यम से खोजन का प्रयास किया गया है। यह किताब अतीत में चीजों को बदलकर भविष्य की तबाही को बदलने के विचार पर आधारित है। श्री विपिन वर्मा भारत की सांस्कृतिक विरासत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए और ज्यादा से पर्यटकों अपने अपने देश आकर्षित करने के लिए अपनी टीम चित्रा जोशी (सह लेखिका) व अदिति सिन्हा (प्रूफरीडर) के साथ प्रयासरत और प्रतिबद्ध हैं। पुस्तक विमोचन के अवसर पर असिस्टेन्ट लाइब्रेरियन कानू चक्रवर्ती, सिस्टम एनालिस्ट अनुराग त्रिपाठी, कनिष्ठ अधीक्षक आरती गुप्ता समेत संस्थान के शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे
उधर, संस्थान में हिंदी कार्यशाला का विषय ’’राजभाषा नीति एवं कार्यान्वयन संबंधी प्रमुख निदेश’’था । प्रशिक्षक के रूप में डा. संजय कुमार सिंह, वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी एवं सदस्य सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति को आमंत्रित किया गया था। उक्त कार्यशाला संस्थान के एनी बेसेंट व्याख्यान कक्ष संकुल में आयोजित किया गया, जिसमें संस्थान के कुल 70 अध्यापक एवं गैर शैक्षणिक अधिकारियों, कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया। इसके तहत कर्मचारियों को राजभाषा नीति से संबन्धित भारत सरकार के प्रमुख निदेशों के बारे में बताया गया, जिससे संस्थान में सम्पूर्ण कार्यालयी कार्य हिन्दी में किया जा सक । इस अवसर पर डा. संजय कुमार सिंह ने बताया कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में देवनागरी लिपि को लाने में महामना जी का अमूल्य योगदान है। उन्होंने राजभाषा के नियम और सरकारी काम-काज देख रहे कर्मचारियों को राजभाषा के अंतर्गत अधिकारों और नियमों से अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के सहायक कुलसचिव गंगेश शाह गोंडवाना ने किया एवं संस्थान के कुलसचिव (प्रभार) राजन श्रीवास्तव ने विशेषज्ञ को सम्मानित किया।