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आर्या-2 रिव्यू - मां आर्या सरीन के सर्वाइवल की कहानी
  • 151150653 - YATINDRA 0



इंसानी जीवन ताउम्र परिवार की खातिर न्यौछावर होने के लिए बना है। उस पर जब जब आंच आती है, इंसान सही और गलत की लक्ष्मण रेखा लांघता है। इस सीरीज की नायिका आर्या सरीन भी वही करती है। यहां तो फिर परिवार के साथ साथ परिवार के खानदानी कारोबार का भी सवाल है। उन सब की खातिर आर्या फिर से कुछ ऐसे फैसले लेती है, जो उसकी और उसके बच्चों की जिंदगी में नए मोड़ लाती है। कुछेक दोहरावों को छोड़ दें तो इन सबको सीरीज के रायटर, डायरेक्टर और उनकी टीम ने तबियत से क्रिएट किया है। यह ऑडिएंस को उस नैतिक सवाल के दोराहे पर छोड़ता है कि आर्या के फैसले सही हैं या गलत?

धर्मसंकट लाता है अतीत
यहां इस सीरीज में आर्या(सुष्मिता सेन) के सामने आगे कानून का कुंआ है तो दूसरी तरफ रशियन माफिया और अपने ही भाई संग्राम(अंकुर भाटिया) की हरकतों की खाई। इन सबसे बचे तो फिर बदले की आग में तड़प रहे शेखावत परिवार। आर्या की अपनी बेटी आरू की तरफ से भी कम चुनौतियां नहीं हैं। ऐसे में आर्या कोर्ट में अपने भाई और पिता के खिलाफ जाती है या नहीं? अपने पति के हत्या के आरोपी भाई और पिता के खिलाफ वह क्या स्टैंड लेती है? क्या एसीपी खान(विकास कुमार) आर्या को सलाखों के पीछे ला पाता है। खुद आर्या की मां राजेश्वरी का अतीत उसके सामने क्या धर्मसंकट लाता है, वह सब यहां देखने को मिलता है।

राइटिंग टीम ने किया है कमाल 
राइटिंग टीम ने यहां एक भरे पुरे परिवार के सामने भी सर्वाइवल की चुनौतियों को बखूबी पेश किया है। उनके सामने भी किस्मत की कठिन अग्निपरीक्षा है, जब जंग परायों की जगह अपनों से भी हो तो आप क्या कर सकेंगे। इस सीरीज के हर किरदार यानी बुजुर्ग से लेकर बच्चों तक जीवन ने कदम कदम पर वैसे द्वंद्व से लैस कर रखा है। परिवार पर संकट आने पर बचाव के परम उपाय के तौर पर दौलत(सिकंदर खेर) हर बार सामने खड़ा आता है। ये पहलू सीरीज को यूनीक बनाते हैं।

बड़े दिनों बाद अच्छी थ्रिलर सीरीज आई है 
इन घटनाओं को सभी कलाकारों की सधी हुई अदाकारी ने उम्दा साथ दिया है। सुष्मिता सेन ने आर्या सरीन को ग्रेस मुहैया किया है। दौलत के तौर पर सिकंदर खेर उम्दा लगे हैं। एसीपी खान में कहानी वाले नवाज का अक्स विकास कुमार ने पेश किया है। आर्या सरीन के तीनों बच्चे के तौर पर वीरेन वजीरानी, अरूंधती, आदित्य प्रत्यक्ष पवार अपने किरदार में बंधे रहते हैं। उनके अनप्रेडिक्टेबल बिहेवियर से कहानी में ट्विस्ट आते रहते हैं। वो भी मेन स्टोरी को कंधे से कंधा मिलाकर साथ चलते रहते हैं। लब्बोलुआब यह कि बड़े दिनों बाद एक स्तरीय थ्रिलर डायरेक्टर राम माधवानी लेकर आए हैं।


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