बता दें कि ग्राम पंचायतों के द्वारा ग्राम निधि और मनरेगा के अंतर्गत कराए गए विकास कार्यों के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनाए गए सामुदायिक शौचालय निर्माण को लेकर तमाम शिकायतें आती रहती हैं। इन शिकायतों के दौरान संबंधित अधिकारी को लगातार जांच करनी पड़ती है और ऐसे में कई बार शिकायत के बाद बार-बार भौतिक निरीक्षण भी करना होता है। ग्राम पंचायतों के साथ जांच अधिकारी को भी डाटा एकत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है। अब डिजिटल के इस दौर में ग्राम पंचायत अगर कोई भी विकास कार्य या फिर प्रशासनिक कार्य कराती हैं तो उसकी फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी कराने के बाद उसे पेन ड्राइव या सीडी में स्टोर कराने के बाद सुरक्षित किया जाएगा। जिसमें साफ सफाई कार्य को भी शामिल किया जाएगा। जिसे जांच के दौरान या फिर अन्य किसी विभागीय कार्य के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। जिला पंचायत राज अधिकारी ने सभी एडीओ पंचायत के माध्यम से सभी ग्राम प्रधान और पंचायत सचिवों को निर्देश दिए हैं।
ग्राम प्रधानों का मानना है कि उनके द्वारा कराए गए विकास कार्य और अन्य कार्य लगातार अपनी पूर्व की स्थिति में रह पाना संभव नहीं है। कई वर्षों के बाद उनके पास कोई प्रमाण नहीं रहता है। ऐसे में डिजिटल डायरी से सहूलियत मिलेगी। व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की डिजिटल डायरी बनाने के भी दिए गए थे निर्देश
पूर्व में जिले की सभी 556 ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों को उनके द्वारा निर्मित कराए गए पारिवारिक समाचारों की डिजिटल डायरी बनाने के निर्देश दिए गए थे। इस डायरी को तीन प्रतियों में बनाया जाना था। जिसमें एक डायरी ग्राम पंचायत और एक ब्लाक स्तर पर रहनी थी जबकि एक डिजिटल डायरी को जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में जमा कराना था। जिससे कि
किसी भी शिकायत के दौरान उसे साक्षी तौर पर दिखाया जा सके। ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों और साफ-सफाई के अलावा सामुदायिक शौचालय के निर्माण कार्यों की डिजिटल डायरी बनाने के निर्देश सभी ग्राम पंचायतों को पहले भी दिए गए थे और फिर से निर्देश जारी किए गए हैं। जिससे प्रत्येक कार्य में पारदर्शिता बनी रहे और जांच के दौरान भी सहूलियत मिले।
सम्भल से सुरेन्द्र सिंह की रिपोर्ट -