अमरोहा। संवाददाता
शिक्षाविद़, समाज शास्त्री, मनोविशेषज्ञ व राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना काल में छात्र-छात्राओं के जीवन को सुरक्षित करने के उद्देश्य से बिना परीक्षा दिए अगली कक्षा में प्रमोट करना सरकार का न्याय उचित कदम है। इससे शैक्षिक सत्र नियमित होने में मदद मिलेगी। हालांकि इस व्यवस्था से पढ़ाई को लेकर गंभीर छात्र-छात्राओं पर असर पड़ेगा। रिजल्ट से संतुष्ट न होने वाले छात्र-छात्राओं को परीक्षा देने का मौका दिए जाने की वकालत भी की गई। सभी ने एक सुर में कहा कि विषय परिस्थितियों में आने वाले परीक्षा नतीजों को छात्र-छात्रा स्वीकार करें। आगे के लिए अभी से कड़ी मेहनत से परीक्षाओं की तैयारी करें। माध्यमिक शिक्षा विभाग के इतिहास में पहली बार बिना परीक्षा कराए यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के शनिवार को नतीजे घोषित किए जा रहे हैं। मापदंड़ों पर तैयार किए गए रिजल्ट को शिक्षाविद, समाज शास्त्री, मनोविशेषज्ञ और छात्र-छात्राओं ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पढ़ाई को लेकर शुरू से गंभीर रहने वाले छात्र इस व्यवस्था को शिक्षा के स्तर के लिए अच्छा नहीं बता रहे हैं। क्योंकि बिना परीक्षा दिए शिक्षा के स्तर का मूल्यांकन नहीं हो सकता। वहीं, पढ़ाई को लेकर गंभीर न रहने वाले छात्र इस व्यवस्था से खुश हैं। शिक्षाविद़, मनोविशेषज्ञ, समाज शास्त्री आदि का कहना है कोरोना संक्रमण काल की विषय परिस्थितियों के चलते छात्र-छात्राओं के जीवन को सुरक्षित करना और शैक्षिक सत्र को नियमित करने के लिए बिना परीक्षा दिए अगली कक्षा में प्रमोट करना सरकार का न्याय उचित कदम है। इसके अलाव दूसरा कोई विकल्प नहीं था। जनपद अमरोहा से ब्यूरो चीफ जीत पाल सिंह की रिपोर्ट