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नौकरी लगवाने के नाम पर सात लोगों से 55 लाख की ठगी
  • 151044297 - RAJEEV KUMAR 0



गाजियाबाद। विजयनगर में नौकरी लगवाने के नाम पर सात लोगों से 55 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। मूलरूप से बुलंदशहर निवासी पीड़ित भाईयों का आरोप है कि आरोपियों का एक गिरोह है। गिरोह के सदस्य खुद को जज, सीएमओ और सेना व अन्य विभाग के अधिकारी बताकर लोगों को झांसे में लेते हैं। एसएसपी के आदेश पर विजयनगर पुलिस ने गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़ और शामली के 20 लोगों के खिलाफ दर्ज किया है।
मूलरूप से थाना अगौता, बुलंदशहर के गांव शरीबपुर भैरोली निवासी अजीत सिंह का कहना है कि वह और उनके भाई वर्तमान में विजयनगर के कृष्णा नगर बागू में रहते हैं। दोनों को नौकरी की तलाश थी। फार्म भरने के लिए वह पास में ही साहिल के साइबर कैफे पर गए। वहां साहिल ने उनकी मुलाकात कपूरपुर थाना धौलाना हापुड़ निवासी निर्दोष राणा से कराई। निर्दोष राणा ने खुद को सेना का अधिकारी बताया। उसने कहा कि वह दोनों भाईयों की सरकारी नौकरी लगवा देंगे। इसके बदले में एक व्यक्ति के साढ़े 5 लाख रुपये लगेंगे। अजीत सिंह का कहना है कि उन्होेंने अपने व अपने भाई की नौकरी के लिए एडवांस के तौर पर साढ़े 7 लाख रुपये दे दिए। अजीत के मुताबिक निर्दोष ने यह भी बताया कि उसके दो चाचा सीएमओ व जज हैं। वह पुलिस में दरोगा की नौकरी लगवाते हैं। आरोप है कि निर्दोंष राणा ने दरोगा भर्ती कराने के नाम पर उनके तीसरे भाई ओमपाल सिंह से भी साढ़े सात लाख रुपये ले लिए।

 

भाई व पिता को भी अधिकारी बताकर दिया झांसा
पीड़ित अजीत सिंह का कहना है कि निर्दोष ने अपने भाई को दिल्ली पुलिस और पिता को सेना में बड़ा अधिकारी बताया। कहा कि वह भी नौकरी लगवाते हैं। अगर वह लोगों को लेकर आएंगे तो उन्हें भी कमीशन मिलेगा। अजित सिंह का कहना है कि इसके बाद उनके भाई ओमपाल सिंह ने सात लोगों को मिलवा दिया, जिनसे निर्दोष ने 40 लाख रुपये ले लिए। अजीत सिंह का कहना है कि इसी बीच थाना बीबीनगर, बुलंदशहर के गांव आकापुर टियाना निवासी सुनील उनके भाई मनोज से मिला और निर्दोष से मिलवाने के लिए कहा। सुनील ने अपनी नौकरी लगवा ली और अन्य लोगों की नौकरी लगवाने के लिए निर्दोष से सीधे पैसों का लेन-देन शुरू कर दिया।
2019 में किया था अपहरण, एसटीएफ ने छुड़ाया
अजीत सिंह का कहना है कि सुनील के जरिये आए लोगों की नौकरी नहीं लगी तो वह उनके भाई मनोज से पैसे मांगने लगा। आरोप है कि सुनील ने 19 जून 2019 को उनका, उनके भाई मनोज व निर्दोष का गाजियाबाद से अपहरण कर लिया। पुलिस और एसटीएफ ने उन्हें 21 जून को दुहाई हनुमान मंदिर से मुक्त कराया था। आरोप है कि नौकरी न लगने पर तीसरा भाई ओमपाल अपने पैसे मांगने गया तो निर्दोष, उसके पिता जितेंद्र, दोनों चाचा व अन्य लोगों ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर बेरहमी से पीटा। मारपीट व लाखों रुपये के सदमे में ओमपाल का मानसिक संतुलन बिगड़ गया और उसकी मौत हो गई।
एसपी सिटी निपुण अग्रवाल : पीड़ितों ने एसएसपी कार्यालय में शिकायत की थी। तहरीर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच कराई जाएगी। धोखाधड़ी करने वालों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।

 


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