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आँधी ये तूफ़ान ये तेज़ धारे कड़कते तमाशे
  • 151143206 - RAKESH 0 0
    31 Jul 2021 23:51 PM



मशवरे | कैफ़ी आज़मी

पीरी:
ये आँधी ये तूफ़ान ये तेज़ धारे
कड़कते तमाशे गरजते नज़ारे
अंधेरी फ़ज़ा साँस लेता समन्दर
न हमराह मिशाल न गर्दूँ पे तारे

मुसाफ़िर ख़ड़ा रह अभी जी को मारे

शबाब:
उसी का है साहिल उसी के कगारे
तलातुम में फँसकर जो दो हाथ मारे
अंधेरी फ़ज़ा साँस लेता समन्दर
यूँ ही सर पटकते रहेंगे ये धारे

कहाँ तक चलेगा किनारे-किनारे

पीरी=बुढापा ; शबाब=यौवन ; फ़ज़ा=वातावरण ; मिशाल=मशाल ; गर्दूँ=आकाश ; साहिल=किनारा ; तलातुम=बाढ



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