EPaper LogIn
एक बार क्लिक कर पोर्टल को Subscribe करें खबर पढ़े या अपलोड करें हर खबर पर इनकम पाये।

एक दो भी नहीं छब्बीस दिये एक इक करके जलाये
  • 151143206 - RAKESH 0 0
    31 Jul 2021 23:28 PM



चरागाँ | कैफ़ी आज़मी

एक दो भी नहीं छब्बीस दिये
एक इक करके जलाये मैंने

इक दिया नाम का आज़ादी के
उसने जलते हुये होठों से कहा
चाहे जिस मुल्क से गेहूँ माँगो
हाथ फैलाने की आज़ादी है

इक दिया नाम का खुशहाली के
उस के जलते ही यह मालूम हुआ
कितनी बदहाली है
पेत खाली है मिरा, ज़ेब मेरी खाली है

इक दिया नाम का यक़जिहती के
रौशनी उस की जहाँ तक पहुँची
क़ौम को लड़ते झगड़ते देखा
माँ के आँचल में हैं जितने पैबंद
सब को इक साथ उधड़ते देखा

दूर से बीवी ने झल्ला के कहा
तेल महँगा भी है, मिलता भी नहीं
क्यों दिये इतने जला रक्खे हैं
अपने घर में झरोखा न मुन्डेर
ताक़ सपनों के सजा रक्खे हैं

आया गुस्से का इक ऐसा झोंका
बुझ गये सारे दिये-
हाँ मगर एक दिया, नाम है जिसका उम्मीद
झिलमिलाता ही चला जाता है



Subscriber

187573

No. of Visitors

FastMail

नई दिल्ली - नीट यूजी काउंसिलिंग के लिए 21 जुलाई से शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन     जौनपुर - याचिकाकर्ता को धमकी देने में थाना प्रभारी समेत चार पुलिसकर्मी और एक लेखपाल निलंबित     शामली - पति का जेठानी से अफेयर! पत्नी ने किया विरोध तो दहेज में मांगे पांच लाख     त्रिपुरा - त्रिपुरा की स्नेहा देबनाथ दिल्ली में लापता, 7 दिन पहले आखिरी बार मां से हुई थी बात     तमिलनाडु - तमिलनाडु में डीजल से भरी मालगाड़ी में लगी भीषण आग     दिल्ली - दिल्ली में खुशनुमा हुआ वेदर, NCR के कई इलाकों में झमाझम बारिश