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यहाँ तो चलती हैं छुरिया ज़ुबाँ से पहले ये मीर अनीस की,
  • 151143206 - RAKESH 0 0
    31 Jul 2021 23:18 PM



अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ | कैफ़ी आज़मी

अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ, लहू तो नहीं
ये कोई और जगह है ये लखनऊ तो नहीं

यहाँ तो चलती हैं छुरिया ज़ुबाँ से पहले
ये मीर अनीस की, आतिश की गुफ़्तगू तो नहीं

चमक रहा हैके जो दामन पे दोनों फ़िरक़ों के
बग़ौर देखो ये इस्लाम का लहू तो नहीं



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