फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया प्रदेश संवाददाता वेस्ट बंगाल दीपक कुमार शर्मा 151018477
भगवान जगन्नाथ जी के स्मरण में निकाली जाने वाली जगन्नाथ यात्रा हिन्दू धर्म का बेहद प्रसिद्ध त्योहार है। हर साल पुरी (उड़ीसा) में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशाल आयोजन होता है। पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ के महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है।दरअसल मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक भगवान जगन्नाथजी बीमार रहते हैं और पंद्रह दिनों में इनका उपचार शिशु की भांति चलता है जिसे अंसारा कहा जाता है।आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा को भगवान स्वस्थ हो जाते हैं और द्वितिया तिथि को गुंडीचा मंदिर तक भगवान की रथ यात्रा निकलती है।इस रथयात्रा का आयोजन उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से होता है जिसमें भक्तों का तांता लग जाता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से भक्तों को इस यात्रा में शामिल होने का अवसर नहीं मिल पाया।कोविड प्रतिबंधों के बीच ओडिशा के पुरी में प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ मंदिर में सोमवार से 2021 की रथ यात्रा शुरू हो गई। भगवान जगन्नाथ और उनके भाई भगवान बलभद्र व बहन देवी सुभद्रा को ‘पहंडी’ अनुष्ठान करने के बाद उनके रथ में बिठाया गया। ‘हरि बोल’ और ‘जय जगन्नाथ’ के मंत्रों के साथ तीन देवता – भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा – ‘रत्न सिंहासन’ से नीचे आए और वार्षिक प्रवास के लिए रथों पर चढ़ गए। भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा का विशाल रथ 9 दिनों के लिए बाहर निकलता है। इस यात्रा में सबसे आगे बलभद्र का रथ चलता है जिसे तालध्वज कहा जाता है। मध्य में देवी सुभद्रा का रथ चलता है जिसे दर्पदलन या पद्म रथ कहा जाता है। सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है जिसे नंदी घोष कहा जाता है। खड़गपुर जगन्नाथ मंदिर में आज भगवान जगन्नाथ बलराम व बहन देवी सुभद्रा के साथ मौसी घर गए। कोविड प्रोटोकॉल के पालन के कारण रथ मंदिर परिसर में ही घुमाकर रख दिया गया। खड़गपुर आईआईटी के निदेशक प्रो.वीरेंद्र कुमार तिवारी ने छेना पोहड़ा विधि में भाग लिया। इस अवसर पर खड़गपुर रेल मंडल प्रबन्धक मनोरंजन प्रधान, सर्वो प्रेसिडेंट श्रीमती प्रिया प्रधान, खड़गपुर मंडल रेल हॉस्पिटल के सीएमएस एस के बेहेरा के अलावा गिने चुने श्रद्धालुओं को ही परिसर में जाने की अनुमति थी।वॉलिंटियर्स को भी एक बजे से रात नौ बजे तक सेवारत रहने की अनुमति थी।शीर्ष तीनों पुजारियों का आरटीपीसीआर कोविड टेस्ट करवाया गया था। इधर खड़गपुर डीवीसी रथतला मैदान, सुभाषपल्ली के अलावा मेदिनीपुर के जगन्नाथ मंदिर, झाड़ग्राम के राजबाड़ी व पुर्व मेदिनीपुर जिले के महिषादल राजबाड़ी के अलावा राज्य के बिभिन्न स्थानों पर उत्साह, आनंद, और रीति रिवाज के साथ रथयात्रा का आयोजन किया गया। बता दें, जगन्नाथ रथ यात्रा सोमवार से प्रारंभ हो गई है, जिसका समापन 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन होगा। हालांकि पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना गाइडलाइंस के चलते लाखों की संख्या में श्रद्धालु रथ यात्रा में भाग नहीं ले पाए। खड़गपुर से स्टेट इंचार्ज दीपक कुमार शर्मा की रिपोर्ट।