चींटी और कबूतर की कहानी
- 151130387 - GRISH KUMAR
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चींटी और कबूतर एक समय की बात है पेड़ पर से सिटी एक तालाब में गिर गई एक कबूतर ने उसे अपना जीवन बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश करते हुए देखा उसने एक पत्ते को तोड़ा और चींटी के पास फेंक दिय चींटी झट से पत्ते मचल गई और बड़ी प्रेग्ता नज़रो से कबूतर का धन्यवाद किया वह बहुत थक गई थी कुछ सप्ताह बाद की बात है एक बहेलिया जंगल में आया पहेलियां का तो काम ही पक्षियों को पकड़ना उसने कुछ दाने जमीन पर फेके और उस पर अपना जाल बिछा लिया वह चुपचाप किसी पंछी का जाल में फंसने का इंतजार कर रहा था वे चींटी जो वहीं कहीं से गुजर रही थी उसने वह जब सारी तैयारी देखी तो क्या देखती है की वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी उड़कर उसी जाल में फसने के लिए धीरे धीरे नीचे उतर रहा था चींटी ने एकदम आगे बढ़ बहेलिया के पैर पर इतनी बुरी तरह काट दिया कि बहेलिया के मुंह से चीख निकल गई आहा तेरी ऐसी की तैसी हाय ओह परमात्मा कबूतर ने एकदम देखा कि शोर कहां से किधर से आ रहा है और बहेलियां को देखकर सब कुछ उसकी समझ में आ गया और एक अलग दिशा में उड़ गया और उसकी जान बच गई चीटी अपने काम पर चल्दी जभी तो कहते हैं कर भला तो हो भला