धोरों की धरती की अनछुई तस्वीरें:थार के रेगिस्तान में आंधियां अपनी छाप छोड़ती हैं, कैसे आकृति और जगह ब
- 151113047 - JAYLAL NAGAR
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राजस्थान:बाड़मेर-
राजस्थान के थार में जहां देखो रेगिस्तान ही रेगिस्तान दिखता है। यह विश्व का 17वां सबसे बड़ा रेगिस्तान है। भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय तारबंदी के पास के गांव रोहिड़ी के धोरे मखमल से कम नहीं हैं। इन धोरों की खासियत यह है कि यहां रेत गर्मी में तपती बहुत जल्दी है तो रात में ठंडी भी उतनी ही जल्दी हो जाती है। सर्दी में तो रेत बर्फ की माफिक ठंडी हो जाती है।गर्मियों में यहां तापमान 50 डिग्री के आसपास रहता है तो सर्दियों में कभी-कभार तापमान माइनस तक भी पहुंच जाता है। आंधियों के समय धोरों में अलग-अलग तरह की सुन्दर आकृतियां भी बन जाती हैं। कुछ क्षेत्र प्रतिबंधित होने के कारण पर्यटन स्थल अभी तक नहीं बन पाया है।बोर्डर के गांव रोहिड़ी के धाेरे मौसम के साथ आकृति और जगह भी बदलते थे। रोहिड़ी में 50-60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आंधी चलती है। आंधी में धोरों से अजीब आवाज भी आती है और आंधी की वजह से रेत उड़ने से कई बार सुन्दर आकृति भी बन जाती है। धोरे समुद्र के लहरों की तरह दिखाई देते हैं। सर्दियों में यह धोरे बिल्कुल शांत मुद्रा में बर्फ के माफिक रहते हैं।
ग्रामीण चतुर सिंह बताते हैं कि बाड़मेर रोहिड़ी गांव के धोरे जैसलमेर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सम के धोरों से भी अधिक सुंदर हैं। सीमावर्ती इलाका होने के कारण बाहरी लोगों के बिना परमिशन के आने-जाने पर प्रतिबंध है। प्रतिबंधित होने के कारण यहां का इलाका पर्यटन से नहीं जुड़ा है। रोहिड़ी के धोरों को एक बार किसी ने देख लिया तो उसके दिल और दिमाग से धोरों की तस्वीर निकलती नहीं है।यहां तक फैला है थार का रेगिस्तान
थार का रेगिस्तान विश्व का 17 वां सबसे बड़ा रेगिस्तान है। इसका क्षेत्रफल 77 हजार वर्ग मील है। इस रेगिस्तान का 85 प्रतिशत भाग भारत के राजस्थान और 15 प्रतिशत भाग पाकिस्तान में है। राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, हनुमानगढ़ तक फैला हुआ है जबकि पाकिस्तान में सिंध प्रांत से पंजाब प्रांत तक इसका फैलाव है। थार का अधिकांश भाग सीमावर्ती जैसलमेर व बाड़मेर जिलों में फैला है। इसे दुनिया का सबसे जीवन्त रेगिस्तान माना जाता है।मुनाबाव बॉर्डर के पास रोहिड़ी गांव के धोरों में मौसम के बदलाव के साथ परिवर्तन आता है। गर्मियों के समय दिन में यह धोरे आग की तरह तपते हैं। इस पर पांव भी रख पाना मुश्किल हो जाता है। ये रेतीले धोरे आंधियों में तेजी से हवा के साथ अपना स्थान भी बदलते रहते हैं। इसी कारण इन धोरों में से गुजरने वाले सड़क मार्ग हमेशा रेत से अटे रहते हैं। सुबह रेत हटाओ रात में रेत फिर से स्थान बदल लेती है। इन इलाकों में बहुत कम बारिश होती है, इसी वजह से दूर-दूर तक रेतीले टीलों में वनस्पति नहीं है।
देखे राजस्थान से जयलाल नागर की रिपोर्ट 151113047