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Covaxin में गाय के बछड़े का खून?
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  • 151000001 - PRABHAKAR DWIVEDI 0 0
    19 Jun 2021 17:50 PM



क्या कोवैक्सीन में बछड़े के सीरम का इस्तेमाल हुआ है। कांग्रेस में डिजिटल कम्युनिकेशन और सोशल मीडिया के कोऑर्डिनेटर गौरव पांधी के ट्वीट के बाद एक नया विवाद शुरू हो गया है। भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर आरटीआई के जवाब के बाद एक नया विवाद शुरू हो गया है। तो सबसे पहले दिखाते है कि आरटीई का जबब क्या है --- तो आपने आरटीई के जबाब को देखा जिसके बाद गौरव पांधी ने आरटीआई के जवाब को ट्वीट किया। जिसमें पांधी की ओर से दावा किया गया कि नवजात बछड़े के सीरम अर्थात् खून का इस्तेमाल COVID-19 वैक्सीन, कोवैक्सीन के बनाने में किया जाता है। गौरव पांधी ने बताया कि कोवैक्सीन में बछड़े के सीरम का इस्तेमाल हुआ है। ये जवाब सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने विकास पाटनी नाम के व्यक्ति के आरटीआई पर दिया है। तो आइए दिखाते है गौरव पांधी ने क्या कहा --- तो आपने सुना गौरव पांधी को अब सुनाते है कि उस पूरे मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने क्या --- तो आपने सुना की पवन खेड़ा ने कहा है कि हम चाहते हैं कि सरकार और भारत बायोटेक आरटीआई में जो जवाब आया है, उसका जवाब दें। वहीं इस पूरे मामले पर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि नवजात बछड़े के सीरम का उपयोग वेरो सेल के विकास के लिए किया जाता है। जो वैक्सीन बनाने में दशकों से इस्तेमाल की जाने वाली यह तकनीक है। फाइनल कोवैक्सिन डोज में सीरम का इस्तेमाल नहीं किया गया है। साथ ही पांधी ने इस आरटीआई प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वीकार किया कि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित वैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम होता है। जिसकी उम्र 20 दिनों से भी कम होती है। केंद्र की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 'कोवैक्सीन की कम्पोजिशन को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट में कहा जा रहा है कि इसमें नवजात बछड़े का सीरम मिला है. हालांकि इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है.' स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, 'वेरो सेल बनाने और उसके विकास में ही बस नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया गया है. वायरस कल्चर करने की एक तकनीक है और पोलियो, रेबीज और इन्फ्लुएंजा के टीकों में दशकों से इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. अंतिम तौर पर बनकर तैयार होने वाली कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम बिल्कुल नहीं होता है और ना ही ये सीरम वैक्सीन उत्पाद का इंग्रेडिएंट है.' मंत्रालय ने कहा कि वेरो सेल के विकसित होने के बाद उन्हें पानी और रसायनों से अच्छी तरह से अनेक बार साफ किया जाता है जिससे कि ये नवजात बछड़े के सीरम से मुक्त हो जाते हैं. इसके बाद वेरो कोशिकाओं को कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाता है ताकि वायरस विकसित हो सके. इस प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं. इसके बाद विकसित वायरस को भी नष्ट (निष्प्रभावी) और साफ किया जाता है. हरियाणा के दो जिलों में उड़ी थी ऐसी अफवाह बता दें कि हाल ही में हरियाणा के पलवल जिले में करीब 50 से 60 स्थानीय लोगों ने एक चिट्ठी प्रशासन को लिखी थी. जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कोरोना वैक्सीन में गाय का खून और मांस का इस्तेमाल हुआ है. ऐसे में वो वैक्सीनेशन में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं. वहीं, नूह जिले में लोग सूअर की चर्बी के इस्तेमाल की बात कह रहे हैं. डॉक्टरों ने इसको बेबुनियाद बताने के बावजूद कुछ जगहों पर वैक्सीनेशन अभियान पर असर पड़ा है इसके बावजूद एक और अफ़वाह फैल रही है की वैक्सीन में सूअर की चर्बी भी होती है? जिसके जबाब में बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन में सूअर की चर्बी या कोई और पशु उत्पाद नहीं होता है. ब्रिटिश इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि इसमें मामूली मात्रा में एल्कोहल है- जो ब्रेड में इस्तेमाल होने वाली मात्रा से ज्यादा नहीं है.वहीं इस पूरे मामले पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भारत में निर्मित कोवैक्सीन को लेकर कांग्रेस ने जो भ्रम फैलाया है वो महापाप है। जो विरोधियों ने आरोप लगाया कि कोवैक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम/खून होता है। कांग्रेस ये भ्रम फैला रही है कि गाय के बछड़े को मारकर ये वैक्सीन तैयार किया गया है। यह सिर्फ़ एक राजनीति बखेड़ा है तो आइए सुनते है सविद पात्रा को


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