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इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन के वेबिनार में अनुपालन और माप तकनीक पर मंथन ki
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झारखंड जमशेदपुर, कितने भारतीय निर्माता एवं अंतिम उपभेाक्ता इस बात को जानते हैं कि निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया जाने वाला स्टील बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) के मानकों के अनुरूप होना चाहिए? जहां एक ओर देश के विकास के लिए बुनियादी क्षेत्र का विकास ज़रूरी है, वहीं भारतीय मानकों के अनुरूप गुणवत्ता की जांच एवं अनुपालन को सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सेक्टर के विकास तथा स्टील अवयवों की गुणवत्ता की जाँच पर चर्चा करने के लिए जिंक एवं इसके उपयोगकर्ताओं के हितों के प्रति समर्पित विश्वस्तरीय ओद्यौगिक संगठन - इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन ने – “बीआईएस अनुपालन और माप तकनीकों को समझें” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार में मौजूद उद्योग जगत के दिग्गजों ने भारत को विश्वस्तरीय मानकों के समकक्ष उच्च गुणवत्ता के स्टील के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने हेतु गुणवत्ता की जांच की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। वेबिनार की अध्यक्षता पूर्व-ओद्यौगिक सलाहकार, स्टील मंत्रालय, श्री एसीआर दास ने की, स्टील जगत के दिग्गज सदस्यों जैसे डॉ. पासवान शर्मा-प्रमुख वैज्ञानिक, नेशनल मैटेलर्जिकल लैबोरेटरी, जमशेदपुर; डॉ. ए.एस. खन्ना-पूर्व प्रोफेसर-आईआईटी बॉम्बे; श्री सचिन शेट्टी-पार्टनर-क्वेसरो कन्सल्टिंग एवं डॉ. कैनेथ डीसूज़ा, टेकनिकल एक्सपर्ट, आईज़ैडए ने वेबिनार में हिस्सा लिया। सत्र के दौरान इमारत निर्माण की नई तकनीकों में स्टील के अनुप्रयोगों, स्टील कोटिंग की तकनीकी विशेषताओं पर विचार प्रस्तुत किए गए । अपने संबोधन में कहा कि स्टील के अवयव खरीदते समय रीटेलरों और अंतिम उपभोक्ताओं को इन पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए। साथ ही इस विषय पर भी चर्चा की गई कि कैसे गैलेवेनाइज़्ड एवं कोटेड स्टील सतह को जंग से बचाकर लम्बे समय तक सुरक्षित रख सकता है। बता दें कि भारत में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) एक राष्ट्रीय मानक संस्था है, जो राष्ट्रीय मानकों के विकास एवं कार्यान्वयवन में सक्रिय है। स्टील से बनी सभी संरचनाओं जैसे रूफिंग एवं क्लेडिंग शीट आदि के लिए बीआईएस मानकों-आईएस 277, आईएस 14246 (गैल्वेनाइज़्ड) एवं आईएस 15965 (गैलवैल्यूम/ज़िंकेल्यूम) के अनुरूप जिंक कोटिंग एवं पेंट कोटिंग के नियमों का अनुपालन करना आवश्यक है। हालांकि भारत का बाज़ार कीमत के प्रति संवेदनशील है, ऐसे में भारतीय कोटिंग के मानकों की प्रासंगिकता और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। जागरुकता की कमी के चलते, निर्माता एवं रीटेलर सस्ते, कम मानकों से युक्त कोटेड एवं पेंटेड रूफिंग शीट उपलब्ध कराकरआम जनता का गलत फायदा उठाते हैं। श्री एसीआर दास-पूर्व-ओद्यौगिक सलाहकार, स्टील मंत्रालय ने कहा, ‘‘किसी भी देश के विकास एवं ओद्यौगिकीकरण को सुनिश्चित करने के लिए मानकों का सख्ती से अनुपालन करना बेहद महत्वपूर्ण है। भारत के पास गुणवत्ता नियन्त्रण मानकों का मजबूत ढांचा है, जिन्हें बीआईएस एवं सरकार द्वारा लागू किया गया है। यह न केवल घरेलू स्टील निर्माताओं को उत्कृष्ट गुणवत्ता के अवयवों के निर्माण के लिए बाध्य करता है बल्कि अतिम उपभोक्ताको भी आयरन या स्टील के उत्पाद खरीदने से पहले सही फैसला लेने में सक्षम बनाता है। हालांकि मौजूदा ढांचे के बावजूद, कम मानकों से युक्त कोटेड उत्पादों की आपूर्ति एवं आयात के कई मामले देखे जाते हैं। प्रवर्तन प्राधिकरण बीआईएस और विनियामक संस्थान यानि स्टील मंत्रालय को उचित योजना एवं कार्रवाई के द्वारा इस पर लगाम लगानी चाहिए।’’ हाल ही में 2020 में मुंबई आधारित कन्सलटेन्सी द्वारा रूफिंग एवं क्लैडिंग शीट्स के मूल्यांकन में पाया गया कि आयातित उत्पाद बीआईएस मानकों या भारत सरकार के गुणवत्ता नियन्त्रण आदेशों के अनुरूप नहीं थे। यह भी पाया गया कि घरेलू इस्तेमाल में ली गई कुछ रूफिंग एवं क्लैडिंग शीट्स कम मानकों से युक्त थीं। दर्शकों को सम्बोधित करते हुए डॉ केनेथ डीसूज़ा, टेकनिकल एक्सपर्ट, आईज़ैडए ने कहा, ‘‘तेज़ी से विकसित होते भारत देश ने 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया है, भारत का आर्थिक विकास इसके स्टील उद्योग के विकास के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है। सही निर्माण तकनीकें तथा उच्च गुणवत्ता के ज़िंक कोटेड स्टील का इस्तेमाल बुनियादी संरचनाओं को टिकाउ बनाकर आम जनता को अधिक सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसे में हम आम जनता को कोटिंग शीट की मोटाई के बारे में जागरुक बनाकर देश में बेहतर बुनियादी ढांचे का निर्माण करने हेतु प्रयासरत हैं।’’ वेबिनार के बाद रूफ एवं सरफेस कोटिंग के संदर्भ में स्टील कोटिंग, बीआईएस मानकों की तकनीकी विशेषओं का प्रदर्शन किया गया और ऐसे तरीके बताए गए जिनके द्वारा आर्कीटेक्ट एवं उपभोक्ता खरीद के दौरान स्टील अवयवों की गुणवत्ता का मूल्यांकन कर सकते हैं।

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