कोलकाता रामनवमी हिंसा मामले में EC ने जिला प्रशासन से मांगी रिपोर्ट, सीएम ममता ने बताया पूर्व नियोजित घटना ऊना हिमाचल प्रदेश में बसपा किसे देगी टिकट, आज लोस और विस की टिकटों पर मंथन करेगी पार्टी भोपाल बालाघाट के अति नक्‍सल प्रभावित केंद्र पर 100 प्रत‍िशत मतदान, 6 सीटों पर वोटिंग जारी देहरादून सात फेरों के बाद निभाई लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी, विदाई से पहले मतदान केंद्र पहुंचे दूल्‍हा-दुल्‍हन हरियाणा पति नायब के गुरु के लिए वोट मांगेंगी सुमन सैनी, करनाल की चुनावी रैली में होंगी शामिल फतेहगढ़ चुनावी बिगुल फूंकने सरहिंद पहुंचेंगे सीएम भगवंत मान, रैली के बाद प्रचार के सरगर्म होने की उम्मीद पटना पटना के दो विधानसभा क्षेत्र के लोग मुंगेर में डालेंगे वोट, बाहुबली की पत्नी और ललन सिंह हैं मैदान में बिहार अवध एक्सप्रेस से बाहर भेजे जा रहे 58 बच्चे रेस्क्यू, गुजरात में सूरत के मदरसे से जुड़ा कनेक्शन
EPaper SignIn
कोलकाता - रामनवमी हिंसा मामले में EC ने जिला प्रशासन से मांगी रिपोर्ट, सीएम ममता ने बताया पूर्व नियोजित घटना     ऊना - हिमाचल प्रदेश में बसपा किसे देगी टिकट, आज लोस और विस की टिकटों पर मंथन करेगी पार्टी     भोपाल - बालाघाट के अति नक्‍सल प्रभावित केंद्र पर 100 प्रत‍िशत मतदान, 6 सीटों पर वोटिंग जारी     देहरादून - सात फेरों के बाद निभाई लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी, विदाई से पहले मतदान केंद्र पहुंचे दूल्‍हा-दुल्‍हन     हरियाणा - पति नायब के गुरु के लिए वोट मांगेंगी सुमन सैनी, करनाल की चुनावी रैली में होंगी शामिल     फतेहगढ़ - चुनावी बिगुल फूंकने सरहिंद पहुंचेंगे सीएम भगवंत मान, रैली के बाद प्रचार के सरगर्म होने की उम्मीद     पटना - पटना के दो विधानसभा क्षेत्र के लोग मुंगेर में डालेंगे वोट, बाहुबली की पत्नी और ललन सिंह हैं मैदान में     बिहार - अवध एक्सप्रेस से बाहर भेजे जा रहे 58 बच्चे रेस्क्यू, गुजरात में सूरत के मदरसे से जुड़ा कनेक्शन    

श्रीकृष्ण को समर्पित है जगन्नाथ मंदिर, जानें क्या है महत्व
  • 151000001 - PRABHAKAR DWIVEDI 0



श्री जगन्नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। यह भगवान जगन्नाथ की नगरी जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। चार धामों में से एक में इसका भी नाम आता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है। यहां पर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को पूजा जाता है। यहां पर हर वर्ष रथ यात्रा उत्सव निकलता है। इस रथ यात्रा में मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा अलग-अलग भव्य रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा करते हैं। इस उत्सव को मध्य-काल से ही बेहद ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से बनी हुई मूर्ति अगरु वृक्ष के नीचे मिली थी जो कि मूल मूर्ति थी। यह मूर्ति इतनी चतचौंध करने वाली थी कि धर्म ने चाहा कि वो इसे पृथ्वी के नीचे छिपा दे। मालवा नरेश इंद्रद्युम्न को यही मूर्ति स्वप्न में भी दिखाई दी। उन्होंने फिर विष्णु जी की कड़ी तपस्या की और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने उन्हें बताया कि वह पुरी के समुद्र तट पर जाएं। वहां उन्हें एक दारु (लकड़ी) का लठ्ठा मिलेगा। उसी लकड़ी से वह उस मूर्ति का निर्माण कराएं। जैसा विष्णु जी ने कहा था राजा ने ठीक वैसा ही किया। वह समुद्र तट गए और उसे लकड़ी का लठ्ठा भी मिल गया। फिर विष्णु और विश्वकर्मा बढ़ई कारीगर और मूर्तिकार के रूप में राजा के समक्ष उपस्थित हुए। लेकिन उन्होंने एक शर्त रखते हुए कहा कि वो एक महीने में मूर्ति तैयार कर देंगे लेकिन तब तक वो एक कमरे में ही बंद रहेंगे। उस कमरे में किसी का भी प्रवेश निषेध होगा। न तो राजा और न कोई और वहां आ सकता है। एक माह पूरा हो चुका था। कई दिनों तक कमरे से कोई आवाज नहीं आई थी। राजा ने दरवाजा खोल दिया और कमरे में झांका तो एक वृद्ध कारीगर द्वार खोलकर बाहर आ गया। उसने राजा से कहा कि यह मूर्तियां अभी अपूर्ण हैं। उनके हाथ अभी नहीं बने हैं। राजा को इस बात का बेहद अफसोस हुआ। मूर्तिकार ने कहा कि यह सब दैववश हुआ है। यह मूर्तियां इसी तरह स्थापित की जाएंगी और पूजी जाएंगी। इसके बाद ही तीनों जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां मंदिर में स्थापित की गयीं। चारण परंपरा के अनुसार, यहां पर भगवान द्वारिकाधिश के अध जले शव आए थए। इन्हें प्राचि में प्रान त्याग के बाद समुद्र किनारे अग्निदाह के लिए ले आया गया। इसमें द्वारिकाधीश, बलभद्र और शुभद्रा तीनों ही थे। समुद्रा में उफान आते ही तीनों के अध जले शव बह गए। ये तीनों शव पुरी में निकले। पुरी के राजा ने तीनों के शव को अलग-अलग रथ में रख दिया। लोगों ने उन रखों को खुद खींचकर पूरे नगर में घुमाया और आखिरी में जो दारु का लकड़ा शवों के साथ तैर कर आया था उसकी पेटी बनाई गई। उसमें ही उन्हें धरती माता को समर्पित किया गया। कहा जाता है कि इस तथ्य को बहुत ही कम लोग जानते हैं। कई लोगों का कहना है कि भगवान पुरी में जिंदा पधारे थे।

Subscriber

173822

No. of Visitors

FastMail

कोलकाता - रामनवमी हिंसा मामले में EC ने जिला प्रशासन से मांगी रिपोर्ट, सीएम ममता ने बताया पूर्व नियोजित घटना     ऊना - हिमाचल प्रदेश में बसपा किसे देगी टिकट, आज लोस और विस की टिकटों पर मंथन करेगी पार्टी     भोपाल - बालाघाट के अति नक्‍सल प्रभावित केंद्र पर 100 प्रत‍िशत मतदान, 6 सीटों पर वोटिंग जारी     देहरादून - सात फेरों के बाद निभाई लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी, विदाई से पहले मतदान केंद्र पहुंचे दूल्‍हा-दुल्‍हन     हरियाणा - पति नायब के गुरु के लिए वोट मांगेंगी सुमन सैनी, करनाल की चुनावी रैली में होंगी शामिल     फतेहगढ़ - चुनावी बिगुल फूंकने सरहिंद पहुंचेंगे सीएम भगवंत मान, रैली के बाद प्रचार के सरगर्म होने की उम्मीद     पटना - पटना के दो विधानसभा क्षेत्र के लोग मुंगेर में डालेंगे वोट, बाहुबली की पत्नी और ललन सिंह हैं मैदान में     बिहार - अवध एक्सप्रेस से बाहर भेजे जा रहे 58 बच्चे रेस्क्यू, गुजरात में सूरत के मदरसे से जुड़ा कनेक्शन