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                     डॉक्टर भगवान का दूसरा रुप होता है
                       
                       
                          
                           
                                            - 151113154 - RAKSHA RAM
                                                
                                        
                                                    
                                                
                                                        
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               18 Jan 2021 20:10 PM
                                            
										    
                                             
									 
								
									
                 
      
    
              
                  
                 
गोंडा ।  जनपद के माने जाने सर्जन डॉ मनोज सिन्हा ने 7 साल बच्चे के पित्त के थैली में पथरी निकाल कर एक ऐतिहासिक कार्य किया है । बच्चे के स्वस्थ होने पर उसके परिजन ने काफी खुशी व्यक्त करते हुए संबंधित डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया है।
 डॉक्टर मनोज सिन्हा जी एवं सहयोगी असिस्टेंट मनोज शर्मा जी ने यह बताया की मेडिकल साइंस में 7 साल व  छोटे बच्चों में पित्त के थैली में पथरी पाया जाना हजारों में एक  प्रतिशत होता है।  यह मामला 40 वर्ष से अधिक लोगो मे तथा  अधिकतर महिलाओं के  पित्त की थैली में पथरी  पाए जाते हैं। शहर के  ददुआ बाजार स्थित किरण हॉस्पिटल के सर्जन डॉ मनोज सिन्हा ने बीती रात ग्राम नारायण मेज हारी  जनपद  बलरामपुर के निवासी राजेंद्र के साथ वर्ष 7 वर्षीय पुत्र को कई महीनों से पेट के दर्द से परेशान था । उसने अपने बच्चे को इलाज के लिए  किरण हॉस्पिटल पहुंचकर डॉ मनोज सिन्हा से मिला।  डॉ सिन्हा ने उस लड़के व पीड़ित बच्चे का अल्ट्रासाउंड कराया तो पाया गया कि बच्चे के गालब्लेडर व पित्त की थैली में पथरी है।  इसी कारण बच्चा बीमार था।  डॉक्टर  सिन्हा ने बच्चे के पिता से बता कर बच्चे का दूरबीन विधि से पित्त की थैली में मौजूद पथरी को सफल ऑपरेशन करके निकाल दिया।   48 घंटे के बाद  बच्चा स्वस्थ हो गया।  बच्चे के स्वस्थ होने पर उसके  माता - पिता व अन्य परिजन ने काफी खुशी व्यक्त करते हुए संबंधित डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया है।  इस संबंध में डॉ मनोज सिन्हा ने बताया मेडिकल साइंस में छोटे बच्चे ऑपरेशन करना ही बहुत जटिल है । क्योंकि बड़े बालिग  लोगों के ऑपरेशन में जो यंत्र व   उपयोग किया जाता है । उसे बच्चे में नहीं यूज कर सकते हैं । उन्होंने बताया कि यह केस बहुत ही आश्चर्यचकित है। क्योंकि पित्त की थैली में पथरी होना 40 वर्ष के बाद लोगो मे वह भी महिलाएं में अधिक पाए जाते हैं। स्व्स्थ होने के  बाद   बच्चे को ले जाते वक्त अस्पताल के महिला विशेषज्ञ  डॉ आभा किरण सिन्हा ने चॉकलेट और मिठाई देखकर विदाई की है। सूत्र अनुसार असिस्टेंट ऑपरेशन थिएटर मनोज शर्मा बड़गांव गोंडा से रिपोर्टर रक्षा राम पाठक की न्यूज़(151113154)