EPaper LogIn
एक बार क्लिक कर पोर्टल को Subscribe करें खबर पढ़े या अपलोड करें हर खबर पर इनकम पाये।

सबसे बड़ा सवाल एक ही देश में नियम कायदे 2:मीलाॅर्ड!
  • 151113047 - JAYLAL NAGAR 0 0
    06 Nov 2020 10:03 AM



राजस्थान के जयपुर जिले के अंतर्गत राजस्थान में गुर्जर आंदोलन व पंजाब में कृषि बिल के विरोध से रोज करीब 160 ट्रेनें प्रभावित हो रही हैं, लाखों लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं। ये हाल तब है, जब सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के शाहीन बाग को लेकर स्पष्ट शब्दों में कह चुका है कि सार्वजनिक जगहों पर प्रदर्शन न किए जाएं क्योंकि इससे आम लोगों के लिए मुसीबतें पैदा हो जाती हैं। राजस्थान में पिछले पांच दिन में 300 से ज्यादा ट्रेनों के रूट बदलने पड़े हैं और लगभग एक हजार से ज्यादा बसें रोकनी पड़ी हैं। बड़ा सवाल ये है कि अगर दिल्ली में शाहीन बाग का प्रदर्शन गलत है, तो राजस्थान और पंजाब में चल रहे रेल रोको आंदोलन सही कैसे हो सकते हैं? भास्कर अपील करता है कि सरकारें, रेलवे, कलेक्टर और एसपी को ट्रैक पर लगे तंबू नजर नहीं आ रहे हैं तो अदालतें स्वत: संज्ञान लेकर ट्रैक खाली कराने के आदेश जारी करें, ताकि आम लोगों को मुश्किलों का सामना न करना पड़े। रेलवे ट्रैक राेकने पर 5 साल की सजा और जुर्माना, लेकिन होगा नहीं क्योंकि, रेलवे अफसरों, कलेक्टरों और एसपी को ये तंबू दिखाई नहीं देते रेलवे ट्रैक राेकना कानूनी अपराध है। इसमें पांच साल या इससे अधिक की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। रेलवे की प्रॉपर्टी यानी ट्रैक अादि को नुकसान हाेने पर प्रॉपर्टी की कीमत का दोगुना से अधिक जुर्माना चुकाने का प्रावधान शामिल है। चूंकि प्रदेश में रासुका लागू है, इसके तहत भी सजा का प्रावधान है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि रेल रोकने वाले आंदोलनकारियों पर अभी तक कोई कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई? अब तक कलेक्टर नथमल डिडेल सिर्फ सरकार और गुर्जर समाज के बीच समझौता कराने की कड़ी के रूप में काम कर रहे हैं। वहीं, एसपी डाॅ. अमनदीप सिंह कपूर को भी रेलवे ट्रैक पर बैठे ये लाेग दिखाई नहीं दे रहे। इस मामले में जिला प्रशासन और जिला पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल रहा, जबकि रेलवे ट्रैक राेकने की घोषणा कई दिन पहले ही की जा चुकी थी, फिर भी कुछ नहीं किया गया। इधर एक और मुसीबत; अब जाट भी करेंगे आंदोलन, 18 को महापंचायत भरतपुर| गुर्जरों के बाद अब केंद्र में आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर भरतपुर-धाैलपुर के जाटों ने भी आंदोलन करने का ऐलान किया है। इसके लिए 18 नवंबर को पथैना में महापंचायत में रणनीति तय होगी। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेमसिंह फौजदार ने कहा कि 2017 में हुए आंदोलन के बाद उन्हें आश्वासन दिया गया था कि भरतपुर और धौलपुर के जाटों को केंद्र में आरक्षण के लिए राज्य सरकार चिट्ठी लिखेगी। आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमे वापस लिए जाएंगे। चयनित अभ्यर्थियों को जल्द नियुक्ति मिलेगी। पर इन्हें पूरा नहीं किया गया। इसके लिए 18 नवंबर को पथैना में होने वाली महापंचायत में रणनीति तय की जाएगी। इस महा पंचायत के बाद हुंकार रैली होगी। फौजदार ने कहा कि जाट आंदोलन के दौरान सरकार से हुई समझौता वार्ता में जाटों के प्रतिनिधि मंडल में डॉ सुभाष गर्ग भी शामिल थे। वे अब सरकार में मंत्री हैं। इसलिए उन्हें समझौता लागू करने की पहल करनी चाहिए। देखे राजस्थान से जयलाल नागर की रिपोर्ट 151113047


Subscriber

187485

No. of Visitors

FastMail

बस्ती - पीएम ने मन की बात में योग, आपात काल और श्रावण मास पर की चर्चा     वाराणसी - झूम के बरसे बादल, लबालब हुए कई क्षेत्र; मानसून आने से किसानों को राहत     हरदोई - यूपी के किसान 31 जुलाई से पहले करवा लें फसल बीमा, नहीं तो पछताना पड़ेगा     अयोध्या - एक महीने में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे रामजन्मभूमि परिसर के सभी मंदिर     नई दिल्ली - ऑफिस में REEL देखने वाले हो जाएं सावधान, रखी जा रही है कड़ी नजर जा सकती है नौकरी     बंगाल - लॉ कॉलेज गैंगरेप केस में उठे सवाल, महिला आयोग की टीम ने लगाए कई आरोप     भुवनेश्वर - पुरी रथ यात्रा भगदड़ मामले SP-DM का ट्रांसफर और पुलिस अधिकारी निलंबित