अनदेखी:अपने मूल स्वरूप में आने की बाट जोह रहा है ब
- 151118124 - UDAY SINGH NAGAR
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राजस्थान मंदिर पुरातत्व विभाग की अनदेखी से फिर से अपने मूल स्वरूप में आने की बाट जोह रहा है।हालांकि राज्य सरकार की ओर से कुछ साल पहले पुरा संपदाओं को सहजने के लिए 30 लाख की राशि से इसको मूल स्वरूप में लाने के प्रयास किए गए थे, लेकिन बजट खत्म होने के बाद विकास कार्यों के लिए अब बजट नहीं मिलने से आगे काम नहीं होने से पुरा संपदाएं इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं। सारण के पास स्थित शिव मंदिर सुंदर कलाकृतियों से निर्मित है। मंदिर के स्तंभों व वास्तु खंडों पर की गई कारीगरी लोगों को आकर्षित करती है। मंदिर के द्वार, शाखाओं पर शिव प्रतिहारों का अंकन है। इस मंदिर के स्तंभों पर विक्रम संवत 1224 का लेख मिलता है। हालांकि मंदिर पूरी तरह से जीर्णशीर्ण हो गया था, लेकिन तत्कालीन सरकार की ओर से इसके लिए 30 लाख का बजट देने के बाद इसके स्वरूप को निखारने का कार्य किया गया।अब बजट कम होने से काम पूरा नहीं होने से यह पुराने स्वरूप में नहीं आ पाया है। इसके बावजूद अधूरे कार्य के साथ भी यह शिव मंदिर खूबसूरती से लोगों को आकर्षित कर रहा है। स्थानीय निवासी नाथूलाल योगी बताते हैं कि बारह अष्टकोणीय स्तंभों युक्त सभामंडलों की छत बताई जाती है। इसका उल्लेख इसके इतिहास में भी है, जो वर्तमान में नजर नहीं आ रहा है। मंदिर की छत पर अद्भुत तरीके से गरदाने बनाए गए हैं, जो देखने पर लोगों को आकर्षित करते हैं। समाजसेवी पुरुषोत्तम नागर ने बताया कि यहां स्थित शिव मंदिर पश्चिमामिमुख है। मंदिर तल विन्यास में गर्भगृह, अंतराल, सभामंडप एवं मुखमंडप में है।वहीं गर्भगृह की दार शाखाओं पर शिव प्रतिहारों का अंकन है। गर्भगृह के प्रवेश पट्ट पर गणेश सप्त मातृकाओं का सुंदर अंकन है। मंदिर के स्तंभों पर कमल पत्त व कीतिमुख बने हुए हैं। मंदिर परिसर में कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी बनी हुई हैं। मंदिर परिसर समेत आसपास वास्तुखंडों के ढेर लगे हुए हैं। यहां मंदिर परिसर में वराह की प्रतिमा बनी हुई है। जिस पर देवी-देवताओं को उकेरा गया है। मंदिर के स्तंभों व वास्तुखंडों पर शिल्पकारों की अद्भुत कला का नमूना देखने को मिलता है।
देखे बारां से उदयसिंह नागर की रिपोर्ट 151118124