सैटेलाइट के जरिए रखी जाएगी नजर, खेतों में जलाई परा
- 151042980 - MANORANJAN KUMAR JHA
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ग्रेटर नोएडा। राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) की तमाम हिदायतों व कड़े निर्देशों के बावजूद पंजाब में पराली जलाने के मामले सामने आए है। इसके बाद जिला प्रशासन चौकन्ना हो गया है। जिले में इस बार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए विभागीय स्तर से पहल शुरू कर दी गई है। हालांकि अक्टूबर महीने में धान कटाई शुरू होती है। विभाग के मुताबिक किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए मामला दर्ज कराने के साथ अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी। विभाग किसानों को जागरूक करने के लिए गांवों में गोष्टी आयोजित भी करेगा।
एनजीटी खुद रखेगी पराली जलाने वालों पर नजर
पराली जलाने से रोक के अपने आदेश का प्रभावी क्रियान्वयन न होने पर एनजीटी खुद भी कमान संभाले हुए है। सैटेलाइट के जरिए एनजीटी उन इलाकों की पहचान करेंगी। जहां पराली जलाई जाएगी। इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी जाएगी। प्रशासन की जिम्मेदारी होगी कि वह पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर उसके खिलाफ अर्थदंड की कार्रवाई करें।
पराली जलाने से बढ़ जाता है प्रदूषण का स्तर
पिछले कुछ सालों से शर्दियों के मौसम में दिल्ली समेत आसपास के राज्य पराली जलने से प्रदूषण के आगोश में आ जाते है। खेतों में पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। सांस रोगियों की मुश्किलें बढ़ जाती
है। हर साल पराली जलने से जहरीली हुई हवा के कारण सांस सबंधी बीमारियों का जोखिम तीन गुना बढ़ जाता है।
देना होगा जुर्माना
एनजीटी से सूचना मिलने पर ग्राम पंचायत अधिकारी के साथ-साथ लेखपाल मौके की पड़ताल करेंगे। यदि जांच के दौरान पराली में आग लगी मिली तो सूचना जिला प्रशासन को देने के साथ अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी। कृषि विभाग के मुताबिक पराली जलाने वाले किसानों पर एनजीटी के आदेशानुसार 15 हजार से 25 हजार रुपये अर्थदंड लगाया जा सकता है।
किसानों को किया जा रहा आगाह
कृषि विभाग किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरूक कर रहा है। गांवों में गोष्ठी आयोजित कर किसानों से पराली न जलाने की अपील की जा रही है। किसानों को समझाया जा रहा है कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है, बल्कि इससे मिट्टी की उपजाऊ सतह को भी नुकसान पहुंचता है। मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
पिछले साल 14 स्थानों पर सामने आए थे पराली जलाने के मामले
गौतमबुद्ध नगर में पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए अभी से कृषि विभाग जागरूक कर रहा है। उनको पराली के अन्य इस्तेमालों के बारे में बताया जा रहा है। कृषि विभाग के मुताबिक पिछले साल 28 किसानों के खिलाफ पराली जलाने के चलते कार्रवाई की गई थी। 14 स्थानों पर पराली जलने के मामले आए थे। जारचा और जेवर क्षेत्र के गांव शामिल रहे है। पराली जलाने के मामलों में किसान के खिलाफ होने वाले कार्रवाई की जानकारी देकर उनको सचेत किया जा रहा है। दावा किया कि पराली से बिजली तैयार करने के लिए एनटीपीसी की खरीदने की योजना है। जिसके तहत किसान आसानी से पराली को बेचकर कुछ धन अर्जित कर सकते हैं। जागरूक करने के लिए गांवों में प्रधानों के सहयोग से जानकारियां दी जा रही है।
कृृृृृषि अधिकारी ने कहा
किसान इस साल पराली न जलाए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। किसानों ने यदि पराली जलाई तो किसानों को चिन्हित कर न केवल मामला दर्ज कराया जाएगा बल्कि उनपर अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी।