नागरिक अस्पताल में एक सप्ताह में तीन नवजात की मौत
- 151039183 - ANJALI GUPTA
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राजस्थान के कोटा सहित विभिन्न जिलों के राजकीय अस्पतालों में नवजात एवं शिशुओं की मौत का मामला काफी सुर्खियों में रहा है। जिले के बादशाह खान नागरिक अस्पताल के एनआइसीयू वॉर्ड के हाल बदतर तो नहीं लेकिन बहुत अच्छे भी नहीं है। नए वर्ष के पहले सप्ताह में नागरिक अस्पताल के एनआइसीयू वॉर्ड में भर्ती तीन नवजातों की मौत हो गई है।...फरीदाबाद : राजस्थान के कोटा सहित विभिन्न जिलों के राजकीय अस्पतालों में नवजात एवं शिशुओं की मौत का मामला काफी सुर्खियों में है। अपने जिले के राजकीय बादशाह खान नागरिक अस्पताल के एनआइसीयू वॉर्ड के हाल बदतर तो नहीं, लेकिन बहुत अच्छे भी नहीं है। नए वर्ष के पहले सप्ताह में नागरिक अस्पताल केएनआइसीयू वॉर्ड के हाल बदतर तो नहीं, लेकिन बहुत अच्छे भी नहीं है। नए वर्ष के पहले सप्ताह में नागरिक अस्पताल के एनआइसीयू वॉर्ड में भर्ती तीन नवजातों की मौत हो गई है। तीनों का जन्म नागरिक अस्पताल में हुआ था और प्रीमैच्योर होने की वजह से नवजातों की हालत काफी गंभीर थी। संसाधनों की कमी से बिगड़ रही व्यवस्थाबादशाह खान नागरिक अस्पताल में एनआइसीयू वॉर्ड 20 बेड का है और यह बेड हर समय भरे रहते हैं। कई बार एक बेड पर दो-दो नवजातों को भर्ती करना पड़ता है। इनमें से कई बच्चे गंभीर अवस्था में होते हैं। ऐसे नवजातों को कृत्रिम सांस देने के लिए वेंटिलेटर सहित विभिन्न मशीनों में रखा जाता है, जो कि नागरिक अस्पताल के एनआइसीयू वॉर्ड में नहीं हैं। इन सीमित साधनों में नवजात के जीवन को बचा पाना मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह से बच्चों को दिल्ली के सफदरजंग या निजी अस्पताल के लिए रेफर करना पड़ता है। बता दें कि पिछले वर्ष एनआइसीयू में भर्ती 125 नवजातों की मौत इलाज के दौरान हो गई थी, जबकि वर्ष 2018 में 109 शिशुओं की मौत हुई थी। इन्हें हुई थी बेटियांसुभाष नगर निवासी राधारमन के पत्नी प्रियंका को पुत्री हुई थी, जिसकी जन्म के तीन दिन बाद चार जनवरी को मृत्यु हो गई। इसके अलावा बल्लभगढ़ के प्रेम नगर निवासी नवनीत की पत्नी वरीस के पुत्री हुई थी। उसकी मृत्यु तीन जनवरी को हो गई थी। वहीं बसेलवा कॉलोनी निवासी रूपचंद की पत्नी निशा को भी बेटी हुई थी और उसकी मृत्य तीनजनवरी को हुई थी। हमारे यहां ऐसी बदतर स्थिति नहीं है। जिन बच्चों की मौत हुई है, उन सभी की जन्म के समय ही हालत बहुत गंभीर थी। डॉक्टरों के भरसक प्रयास के बावजूद उनकी जान नहीं बच सकी। अस्पताल में कुछ कमियां अवश्य हैं, जिनकी तरफ ध्यान दिया जा रहा है। सरकार से बेबी वॉर्मर और फोटोथेरेपी मशीन की मांग की गई थी।उसका रिमाइंडर पत्र भी लिखा गया है। एनआइसीयू वॉर्ड को बढ़ाकर 40 बेड तक करने की योजना है।