गृहमंत्री अमित शाह ने कहा-मुस्लिम इस देश के नागरिक हैं, थे और रहेंगे. देश के किसी भी मुसलमान को चिंता करने की जरूरत नहीं है ।
- 151017631 - RAMSURAT RAJBHAR
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नागरिकता संशोधन विधेयक पर आज राज्यसभा में चर्चा हुई। गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा, ‘जो अल्पसंख्यक बाहर से हमारे देश में आए, उन्हें सुकून मिला है। तीन पड़ोसी मुल्कों से लोग हमारे देश में आए। वहां उन्हें समानता का अधिकार नहीं मिला। वो लोग अपने ही देश में प्रताड़ित किए जा रहे थे। वह लोग भारत एक उम्मीद लेकर आए थे। इस बिल के माध्यम से लाखों लोगों के दिलों में एक आशा की किरण जगी है। ये बिल धार्मिक प्रताड़ितों के उत्थान के लिए है। मैं इस सदन के माध्यम से देश की जनता का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहता हूं। घोषणा पत्र के आधार पर प्रचार होता है। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र किया था। हम वोट बैंक की राजनीति नहीं कर रहे हैं। हमने जनता के बीच इस मुद्दे को रखा था और हमें मिला जनादेश इस बात का सबूत है कि जनता ने हमारे घोषणा पत्र को स्वीकार करके ही हमें दोबारा से सरकार बनाने का अवसर दिया है और हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उस जनादेश का सम्मान करें।
नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) लोकसभा में सोमवार को पास होने के बाद अब बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया…
गृह मंत्री ने आगे कहा, आज हम इस बिल को अमलीजामा पहनाकर जनता से किया अपना वादा पूरा करने जा रहे हैं। इस बिल में हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। देश में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि ये बिल मुस्लिमों के खिलाफ है। हमारे देश के मुस्लिम इस देश के नागरिक हैं, थे और रहेंगे. देश के किसी भी मुसलमान को चिंतित होने की जरूरत नहीं है उनका अधिकार सुरक्षित है। राज्यसभा में बुधवार को बिल के समर्थन में 125 सांसद दिख रहे हैं, और विरोध में 109 सांसद हैं। जो सांसद बिल के समर्थन में हैं, उनमें भाजपा के 83, शिरोमणी अकाली दल के 3, लोक जनशक्ति पार्टी के एक, आरपीआई के एक, बीपीएफ के एक, एनपीएफ के एक, एजीपी के एक, एसडीएफ के एक, जदूय के 6, एआईएडीएमके के 11, पीएमके के 1, वाईएसआरसीपी के 2, टीडीपी के 2 और बीजेडी के 7 सांसद हैं।
गृहमंत्री अमित शाह के भाषण की कुछ महत्वपूर्ण बातें…
* आज मैं एक ऐतिहासिक बिल लेकर सदन में उपस्थित हुआ हूं. इस बिल के प्रावधान में, लाखों करोड़ों लोग जो नर्क की यातना का जीवन जी रहे हैं, उन्हें नई आशा दिखाने का ये बिल है।
* विभाजन के बाद हमारी कल्पना थी कि जो नागरिक यहां अल्पसंख्यक रहते हैं और जो पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक हैं वो सम्मान के साथ जीवन जी पाएंगे, सम्मान के साथ अपने धर्म का पालन कर पाएंगे व अपने परिवार की रक्षा कर पाएंगे।
* दशकों बाद हम इसकी तरफ देखते हैं तो एक कटु अनुभव यह सामने आता है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सम्मान जनक जीवन नहीं जीने दिया गया। वहां अल्पसंख्यकों को घोर प्रताड़ना के अलावा और कुछ नहीं मिला।
* पाकिस्तान और बांग्लादेश में लगभग 20-20% अल्पसंख्यकों की आबादी कम हो चुकी है। आखिर कहां गए वो लोग, या तो वो मार दिए गए या धर्म परिवर्तन करा दिया गया या वो लोग अपने धर्म और सम्मान को बचाने के लिए भारत में शरणार्थी बनकर आ गए।
* कुछ लोग कह रहे हैं कि हम वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं, मैं उन सब साथियों को कहना चाहता हूं कि हमने चुनाव के पहले ही ये इरादा देश के सामने रखा था, जिसे देश की जनता ने स्वीकार करके हमें पर्याप्त जनादेश दिया था।
* इस बिल में हम भारत के पडोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को संरक्षण देकर उनको नागरिक बनाने की प्रक्रिया का संशोधन लेकर आये हैं। साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों के अधिकार संरक्षित रहें हम यह प्रावधान भी लेकर आये हैं।
* मुस्लिम यहां के नागरिक थे, हैं और रहेंगे, उन्हें प्रताडि़त नहीं किया जाएगा और न ही उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया जाएगा, पर देश में कुछ लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि ये बिल मुस्लिमों के खिलाफ है जो इस देश के मुसलमान हैं उनके लिए इस बिल में कोई चर्चा या चिंता का उल्लेख नहीं हैं। फिर ये किसकी चिंता कर रहे हैं