अब शहीदों की विवाहित बेटी और भाई-बहन को भी मिलेगी नौकरी
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हरियाणा में अब शहीदों की विवाहित बेटी और अविवाहित शहीद के भाई-बहन को भी नौकरी देने की तैयारी है। अभी तक शहीद के परिवार में बेटा, बेटी और पत्नी को ही नौकरी देने का प्रावधान है। हरियाणा सरकार जल्द ही नियमों में संशोधन कर शहीद जवानों के खून के रिश्तेदार को भी नौकरी देने का भी प्रावधान करेगी। यह कदम मुख्यमंत्री मनोहरलाल की पहल पर उठाया गया है।
शहीद आश्रितों को नौकरी के नियम बदलने की तैयारी में सरकार
शहीद परिवारों तथा पूर्व सैनिकों की बेहतरी के लिए कई अहम कदम उठा चुकी प्रदेश सरकार शहीद के आश्रितों को नौकरी के मामले में सभी तकनीकी अड़चनों को दूर करने में लगी है। दरअसल वर्तमान में प्रदेश सरकार शहीद के बेटे-बेटी, पत्नी को नौकरी देने के अलावा भाई-बहन को कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही रोजगार देती है। ऐसे में शहीदों की विवाहित बेटियां नौकरी से चूक जाती थीं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संज्ञान में मामला आया तो उन्होंने अफसरों को विवाहित बेटी और शहीद के अविवाहित होने की स्थिति में उसके भाई और बहन को भी नौकरी देने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार इस प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी देकर नियम बनाने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने कहा कि नियमों में बदलाव से न केवल शहीद परिवारों को नौकरी में तकनीकी अड़चन दूर हो जाएगी, अपितु ऐसे सभी परिवारों को भी मान-सम्मान मिलना सुनिश्चित हो जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने साढ़े तीन साल के दौरान सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए कई अहम कदम उठाए हैं।
मनोहर सरकार द्वारा सैनिकों और उनके परिवारों के लिए अब तक उठाए गए कदम
-सेना, अर्द्धसैनिक बल तथा पुलिस बल के शहीदों के 195 आश्रितों को नौकरी।
-सैनिक एवं अर्द्धसैनिक कल्याण विभाग का गठन।
-युद्ध के दौरान शहीद हुए सेना व अर्द्धसैनिक बल के जवानों की अनुग्रह राशि 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये।
-आइईडी बलास्ट के दौरान शहीद होने पर अनुग्रह राशि दो लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये।
-ड्यूटी के दौरान घायल सैनिकों को 35 लाख तक की सहायता।
-हरियाणा से सेना के कमीशंड अफसरों को प्रशिक्षण के बाद एक लाख रुपये की मदद।
-द्वितीय विश्व युद्ध के भूतपूर्व सैनिकों तथा विधवाओं को 10 हजार रुपये महीना।
-राष्ट्रीय मिलिट्री कॉलेज देहरादून में पढ़ रहे छात्रों को 50 हजार रुपये का वजीफा।