खीरी प्रयागराज
आज समूचा भारत वर्ष आजाद देश में चैन की नींद ले रहा है और अपनी इच्छा अनुसार अपने जीवन को व्यतीत कर रहा हैl इस आजादी को दिलाने में सरदार भगत सिंह का बहुत बड़ा योगदान रहा है जिनका संपूर्ण जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैl उक्त बातें भारती गौ रक्षा संघ के प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश कुमार द्विवेदी सरदार भगत सिंह की जयंती पर कहींl आगे बतलाया कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रांति दूत अमर शहीद भगत सिंह की आज 114 वी जयंती हैl देश के इंकलाबी क्रांतिकारी भगत सिंह का आज ही जन्म दिवस हैl जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को मात्र 23 साल की उम्र में ही निछावर कर दिया और फांसी के फंदे से झूल गएl भगत सिंह जी को देश भक्ति विरासत में मिली थी क्योंकि उनके दादा अर्जुन सिंह उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह गदर पार्टी के अभिन्न हिस्से थेl 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड से भगत सिंह जी का मन बड़ा प्रतीत हुआ और वह अपनी पढ़ाई छोड़कर आजादी की लड़ाई में कूद पड़ेl उस दौर में ज्यादातर शादियां 12 से 14 साल की उम्र के बीच में हो जाया करते थे जिसके कारण भगत सिंह की मां विद्यावती भी चाहती थी कि उनके भगत सिंह के सर पर सेहरा बंध है ऐसे में उन्होंने भगत सिंह से शादी की बात की जिस पर वह कानपुर चले गए और जाते हुए अपने माता-पिता से कह गए कि इस गुलाम भारत में मिली दुल्हन बनने का अधिकार सिर्फ मेरी मौत को है जिसके बाद वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन में शामिल हो गएl भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव तीनों सरलता सेनानियों ने मिलकर ब्रिटिश शासकों की रात की नींद उड़ा दी थीl भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को पुलिस अधिकारी जान सांडर्स की हत्या के लिए लाहौर साजिश मामले में मौत की सजा सुनाई गई और 23 मार्च 1931 को पंजाब के लाहौर सेंट्रल गाल जेल में भगत सिंह को फांसी दीl सरदार भगत सिंह जी अपने साहस और देशभक्ति से भारत के आने वाली कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगेl