प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीकी दौरे के दौरान चार देशों का गठबंधन 'क्वाड' भी चर्चा में आया। पहली बार चारों देशों के प्रमुख क्वाड को लेकर आमने-सामने मिले। चीन का मुकाबला करने के लिए भी क्वाड एक मजबूत संगठन माना जा रहा है। क्वाड देशों (भारत, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, जापान) ने अपने साझा बयान में भी चीन का नाम लिए बिना चीनी गतिविधियों के खिलाफ अपना रुख साफ किया है। बयान में कई बातों का जिक्र किया गया है, जिनमें आंतरिक कानून व्यवस्था, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की गरिमा बनाए रखना, अहम बिंदुओं में से एक है। इसके अलावा क्वाड नेताओं ने प्रशांत क्षेत्र में स्थित छोटे द्वीपों को अपना समर्थन देते हुए कहा है कि सभी द्वीपों को अपनी आर्थिक और वातावरण संबंधी आत्मनिर्भरता के लिए भी मदद करने की जरूरत है। यह इस बात की ओर इशारा है कि छोटे द्वीपों की तरफ चीन के बढ़ते कदम रोकने के भी प्रयास किए जाएंगे।
भारत में अमरीका के मैत्री संबंधों को क्वाड के पैमाने पर देखा जाए, तो यह बात प्रमुख रूप से सामने आती है कि अमरीका भारत को एक प्रमुख शक्ति के रूप में उदय होते देश के रूप में मान रहा है। अमरीका की तरफ से कहा यह भी जा रहा है कि अमरीका में भारत की समग्र वैश्विक नीतिगत साझेदारी व्यापक होने के साथ-साथ बहुआयामी भी है। साथ ही जहां अमरीका को एशिया के लिहाज से चीन को जवाब देने के लिए एक मजबूती साझेदार की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर भारत को एशिया में अपना दबदबा रखने के लिए अमरीका जैसे सुपरपावर देश की जरूरत है। यही कारण है कि भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्वाड (क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) यानी सामरिक सुरक्षा के बहुपक्षीय समझौते को लेकर चीन के माथे पर भी बार-बार बल पड़ते रहे हैं।
क्वाड को लेकर कुछ समय पहले ही चारों राष्ट्र प्रमुखों की वर्चुअल शिखर बैठक भी संपन्न हुई, जिसमें भारत प्रमुख भूमिका में उभर कर सामने आया। इस बैठक में कोविड-19 की चुनौतियों से निपटने के लिए वैक्सीनेशन को मिलजुलकर एक अभियान के रूप में चलाने के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ट्रेड एग्रीमेंट, टेक्नोलॉजी और सुरक्षा सहित कई क्षेत्रों में बड़े समझौतों की संभावना बनी। प्रधानमंत्री के अमरीकी दौरे में क्वाड की पहली बार आमने-सामने हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की ओर से 8 मिलियन कोविड-19 वैक्सीन के निर्यात का वादा भी किया है। मूल रूप से तो इस गठबंधन का काम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री व्यापार को आसान करना है। साथ ही क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने, कोविड-19 व जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए भी यह एक मंच बन गया है।
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ 2007 में शुरू हुए प्रयासों ने 2021 के आते-आते मूर्तरूप ले लिया है, चाहे इस गठबंधन की मजबूती के पीछे चीन की विस्तारवादी व आक्रामक व्यापार नीति का भय ही क्यों ना हो। भारत, जापान, अमरीका व ऑस्ट्रेलिया के चतुष्कोण में फैले विशाल क्षेत्र को एक साथ जोड़ कर इसका अधिक से अधिक उपयोग किया जाए, शिंजो आबे ने भी इस प्रयास को दो समुद्रों का मेल बताया था। क्वाड गठबंधन में भारत एक प्रमुख व सशक्त भूमिका में होने से भारत-अमरीकी संबंधों में भी प्रगाढ़ता रहेगी। वैसे भी राष्ट्रपति जो बाइडन चीन पर लगाम रखने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चार बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियों को एकजुट करने के साथ-साथ क्वाड के आधार पर भारत-अमरीकी नीति निर्धारित करना चाहते हैं।