श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण और सुंदरीकरण के बाद भव्य तो नजर आएगा ही, राष्ट्र-धर्म की नजीर भी बन जाएगा। इस भाव को जीवंत करेंगी कारिडोर में बाबा दरबार से गंगधार के मध्य क्षेत्र में लगने वाली चार प्रतिमाएं। इसमें देवाधिदेव महादेव को प्रिय मां गंगा तो होंगी ही, भारत माता की दिïव्य झांकी भी सजाई जाएगी। चतुराम्नाय चतुष्पीठ संस्थापक आदि शंकराचार्य की छवि सनातन धर्म की मजबूती का अहसास कराएगी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप को आकार देने वाली महारानी अहिल्याबाई की स्मृतियों का रंग मानस पटल पर चटख तो होगा ही उनकी प्रतिमा स्थापित कर काशी उनके प्रति आभार जताएगी। प्रतिमाओं को लंबे समय तक धूप-बरसात से सुरक्षित रखने के लिहाज से धातु का बनाया जाएगा। संगमरमरी मजबूत प्लेटफार्म के साथ ही छाया का भी इंतजाम किया जाएगा। इनके पास ही प्रतिमाओं के बारे में विवरणयुक्त पत्थर (राइट अप पैनल) लगाया जाएगा। कारिडोर चौक से गंगा की ओर बढ़ते ही बनाए जा रहे सिटी म्यूजियम, वैदिक केंद्र, बहुद्देशीय सभागार के पास लगभग 300-300 मीटर की दूरी पर इन्हें लगाया जाएगा। स्थान का चयन तो कर लिया गया है, लेकिन प्रतिमाओं के आकार, धातु व प्लेटफार्म के प्रकार पर निर्णय होना शेष है। इस पर सहमति बनने के साथ ही प्रतिमाएं आकार पाने लगेंगी दरअसल, काशी विश्वनाथ मंदिर का वर्तमान स्वरूप 1777 से 1780 के बीच का माना जाता है। इसका निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। उनके अतुल्य योगदान को देखते हुए कारिडोर में अहिल्याबाई की प्रतिमा लगाने के निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए थे। इसे डीपीआर में शामिल करते हुए तीन अन्य प्रतिमाओं के लिए भी जगह बनाई गई। इसमें आद्य शंकराचार्य को भी शामिल किया गया तो मां गंगा को भी। साथ ही भारत माता की प्रतिमा पर विचार चल रहा है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा के अनुसार नवंबर में कारिडोर का काम पूरा होते-होते प्रतिमाएं भी लगा दी जाएंगी। कार्यदायी एजेंसी लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संजय गोरे के अनुसार फिलहाल कारिडोर का 71 फीसद काम पूरा हो गया है। इसमें 15 भवनों में फिनिशिंग चल रही है। सबसे अंत में प्लेटफार्म तैयार कर प्रतिमाएं लगाई जाएंगी। देखे फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया से कृष्णा कुमार त्रिपाठी की रिपोट 151115387