खमनोर. खमनोर पंचायत समिति के वर्तमान प्रधान द्वारा मुख्यालय की पंचायत में उपसरपंच रहने के दौरान अपने सगे भाई की फर्म को निर्माण सामग्री सप्लाई के ठेके दिलाने और फर्म द्वारा अलग-अलग वित्तीय वर्षों में करीब एक करोड़ रुपए का भुगतान उठाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। प्रधान ने बतौर तत्कालीन उपसरपंच अपनी पंचायत में सरपंच-सचिव की मिलीभगत से पंचायतीराज विभाग की क्रय पॉलिसी एवं नियमों की धज्जियां उड़ाई। सरपंच-उपसरपंच, सचिव की लिप्तता से की गई इतनी बड़ी अनियमितता का दस्तावेजों से पता चला तो मामले की पंचायतीराज विभाग जयपुर में शिकायत की गई। शासन सचिव के निर्देश पर हुई विभागीय जांच में तत्कालीन सरपंच-उपसरपंच व सचिव टैंडर नियमों और निर्देशों की अवहेलना के दोषी पाए गए हैं।
विभागीय जांच में सामने आया है कि प्रधान भैरूलाल वीरवाल ने वर्ष 2010 से 2015 तक खमनोर ग्राम पंचायत में उपसरपंच रहते पद-प्रभाव का दुरूपयोग करते हुए अपने सगे भाई जमनालाल वीरवाल की फर्म रूद्र कंस्ट्रक्शन को लगातार तीन वित्तीय वर्ष में ठेके दिलाने में मदद की। सरपंच हमेरलाल, सचिव जितेंद्र तिवारी व प्रेमलता पालीवाल ने भी उपसरपंच के भाई की फर्म को निविदा में अनुमोदित करने में मिलीभगत कर विभागीय नियमों को तार-तार कर दिया। तत्कालीन उपसरपंच के सगे भाई की फर्म को फायदा पहुंचाने का सिलसिला यहीं नहीं रूका। वर्ष 2015 में भाई की पत्नी ममता वीरवाल सरपंच बनीं तो उसने भी पति की फर्म को नियम विरूद्ध लाखों रुपए का भुगतान कर दिया। वित्तीय वर्ष में निविदा प्रपत्र एवं जी-शिडï्यूल के विपरित एवं कई निर्माण कार्यों में गैर अनुमत फर्म को अनियमित भुगतान करना भी सामने आया है। कराए गए निर्माण कार्यों की गुणवत्ता टटोलने के लिए कुछ कार्यस्थलों का भौतिक सत्यापन किया तो उसमें भी अधिकांश कार्य मापदंडों के अनुरूप ना होकर घटिया पाए गए। टैंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी के प्रकरण में दोषी पाए गए तत्कालीन उपसरपंच व वर्तमान प्रधान भैरूलाल वीरवाल पर अपने ही भाई की फर्म को टैंडर दिलाने एवं फर्म मालिक भाई की पत्नी के सरपंच बन जाने के बाद तक कुल 98 लाख 24 हजार 190 रुपए के नियम विरुद्ध भुगतान उठा लेने की पंचायतीराज विभाग को भेजी शिकायत में आरोप लगाए थे। जांच होने पर इतना बड़ा मामला सामने आया है।