सावित्री ने जिस तरह से अपने पति के प्राणों की रक्षा यमराज से की थी। ठीक उसी तरह दो महिलाओं ने स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट से अपने पतियों के प्राणों की रक्षा की है। अलग-अलग धर्म की होने के बावजूद दोनों ने पतियों के लिए स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट किया। हिमालयन अस्पताल के चिकित्सकों ने सफल किडनी ट्रांसप्लांट के बाद सभी चारों पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
परिवार में समान ब्लड ग्रुप कोई करीबी रिश्तेदार नहीं था
डोईवाला निवासी अशरफ अली (51) की दोनों किडनियां खराब होने के बाद वह पिछले दो सालों से हेमोडायलिसिस पर थे। उनकी पत्नी सुल्ताना खातून अपनी एक किडनी देने को तैयार थी। लेकिन ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो पाया। परिवार में समान ब्लड ग्रुप कोई करीबी रिश्तेदार नहीं था।
इसी बीमारी से पीड़ित एक अन्य मरीज कोटद्वार निवासी विकास उनियाल (50) भी ऐसी ही परिस्थितियों से जूझते हुए दो साल से हेमोडायलिसस पर थे। दोनों परिवार ऐसे डोनर की तलाश कर रहे थे। जिसका ब्लड ग्रुप मैच हो जाए। हिमालयन अस्पताल के इंटरवेंशनल नेफ्रोलोजिस्ट डॉ. शादाब अहमद ने बताया कि किडनी डोनर के लिए प्रयासरत दोनों परिवारों को एक दूसरे से मिलाया गया।
ब्लड ग्रुप मैच कराया गया तो सुषमा का ब्लड ग्रुप अशरफ और सुल्ताना का विकास से मैच हो गया। इंसानियत और अपने पतियों की जान बचाने के लिए उस पल कोई फर्क नहीं पड़ा कि कौन किस धर्म का है। सुषमा और सुल्ताना दोनों एक दूसरे के पति को किडनी देने को तैयार हो गई। स्वैप ट्रांसप्लांट के लिए यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी की एक संयुक्त टीम बनाई गई।
उत्तराखंड राज्य प्राधिकरण समिति से ली गई अनुमति
वरिष्ठ यूरोलाजिस्ट और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. किम जे मामिन ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उत्तराखंड राज्य प्राधिकरण समिति से अनुमति ली गई।
दो अलग-अलग ऑपरेटिंग कक्षों में सुल्ताना और सुषमा पर अलग-अलग डोनर नेफरेक्टोमी यानी किडनी निकलने की प्रक्रिया की गई। इसके बाद किडनी को क्रमश: विकास और अशरफ में ट्रांसप्लांट किया गया। जटिल ऑपरेशन के बाद सफलतापूर्वक स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट हो गया। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद सभी चारों सामन्य रूप से काम कर रहे है। दोनों परिवार खुश हैं।
मास्टर केमिस्ट अंग है किडनी
हिमालयन अस्पताल के वरिष्ठ यूरोलजिस्ट डॉ. किम जे मामिन ने बताया कि गुर्दे हमारे शरीर के मास्टर केमिस्ट और होम्टोस्टेटिक अंग होते हैं। शरीर में रक्त साफ करने की प्रक्रिया के साथ पानी की मात्रा को संतुलित करना, रक्तचाप, मधुमेह को नियंत्रित करना, शरीर से अवशिष्ट विषैले पदार्थो को मूत्र द्वारा बाहर करना और आवश्यक पदार्थ विटामिन, मिनरल कैल्शियम पोटेशियम, सोडियम आदि वापस शरीर में पहुंचकर इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करना इसका कार्य है।
कुलपति और चिकित्सा अधीक्षक ने दी टीम को बधाई
सर्जरी को सफल बनाने में वरिष्ठ यूूरोलॉजिस्ट डॉ. किम जे मामिन, वरिष्ठ इंटरवेंशनल नेफ्रोलाजिस्ट डॉ. शहबाज अहमद, एनिस्थिसिया विभागाध्यक्ष डॉ. वीना अस्थाना, डॉ. राजीव सरपाल, डॉ. शिखर अग्रवाल और डॉ. विकास चंदेल को योगदान रहा। कुलपति डॉ. विजय धस्माना और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने किडनी के सफल ट्रांसप्लांट के लिए टीम को बधाई दी।
फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया प्रदेश संवाददाता उत्तराखंड शाहनूर अली 151045804