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ट्रक चालकों के घंटे तय करने में देरी न हो
  • 151159993 - AMAR KANT 0



केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister For Road Transport And Highways Nitin Gadkari) ने सड़क हादसों में कमी के लिए विमान पायलटों की तरह वाणिज्यिक ट्रक चालकों के गाड़ी चलाने के घंटे तय करने की वकालत की है। साथ ही वाणिज्यिक वाहनों में चालक को नींद आने का पता लगाने वाले सेंसर लगाने पर भी जोर दिया है। गडकरी ने इस संबंध में कुछ ट्वीट किए और कहा कि इससे थकान की वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है। केंद्रीय मंत्री ने एक ऐसे मुद्दे की तरफ ध्यान आकर्षित किया है, जो अब तक उपेक्षित ही रहा है।

सड़क हादसे रोकने के लिए लगातार अभियान चलाए जाते हैं। सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत लोगों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता पैदा करने के प्रयास किए जाते हैं। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी होती है। देश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से सड़क सुरक्षा के लिए कठोर प्रावधानों वाला मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 कानून की शक्ल ले चुका है। इसमें यातायात नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने के साथ कैद की सजा तक के प्रावधान हैं। इसके बावजूद देश में सड़क हादसों में कमी नहीं हो रही है। इससे साफ है कि हादसे रोकने के लिए सिर्फ कानूनों को कड़ा करने से ही काम नहीं चलेगा। जमीनी धरातल से जुड़कर भी समस्या का समाधान खोजा जाना चाहिए। उन कारणों की पड़ताल जरूरी है, जिनकी वजह से हादसे हो रहे हैं।

निश्चित रूप से यातायात नियमों का उल्लंघन सड़क हादसों के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। इसके लिए चालकों को जागरूक और जिम्मेदार बनाने के साथ उनकी समस्याओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। खासतौर पर व्यावसायिक वाहन चालकों की मजबूरी और मुश्किलों पर संवेदनशीलता से विचार किया जाना चाहिए। ये चालक बहुत कम पैसे पर काम करते हैं और उनके घंटे भी तय नहीं होते। अन्य असंगठित क्षेत्र के कामगारों की तरह न इनकी नौकरी स्थाई होती और न ही उनके भविष्य से जुड़ी योजनाओं पर ही ध्यान दिया गया।

काम के घंटे तय नहीं होने से चालकों को आराम करने का समय भी नहीं मिलता। इसका असर यह होता है कि कई बार चालक का वाहन पर से नियंत्रण समाप्त हो जाता है और हादसा हो जाता है। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने ट्रक चालकों के काम करने के घंटे तय करने पर जोर देकर सही दिशा में चर्चा को आगे बढ़ाया है। इस पर अमल में देरी नहीं होनी चाहिए। हर इंसान की क्षमता की सीमा होती है, उसकी अनदेखी आपदा को आमंत्रित करती है


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