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माननीय मुख्यमंत्री जी का आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कृषि महाविद्यालय, डूंगरपुर के शुभारम्भ समारोह में सम्बोधन:
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डिस्ट्रिक्ट इंचार्ज जयपुर (राजस्थान) ::श्याम मोहन शर्मा                                                                                           आईडी नंबर :: 151116453   


समारोह के मुख्य अतिथि परम श्रद्धेय माननीय राज्यपाल कलराज मिश्र जी, हमारे कृषि मंत्री लालचंद कटारिया जी, कृषि राज्य मंत्री भाई भजनलाल जाटव जी, डूंगरपुर के विधायक गणेश घोघरा जी, माननीय कुलपति नरेंद्र सिंह राठौड़ साहब, प्रिंसिपल सेक्रेटरी दिनेश कुमार जी और इस प्रोग्राम से जुड़े हुए तमाम विश्वविद्यालय के तमाम परिवार के सदस्यगण, छात्रगण, किसान भाइयों और क्योंकि ये ओपन वीसी है, इसलिए प्रदेशवासियों, मुझे बहुत प्रसन्नता है कि आज आदिवासी अंचल में ये कृषि महाविद्यालय का शुभारंभ माननीय राज्यपाल महोदय के कर-कमलों से होना संभव हुआ और मुझे खुशी है कि इस इलाके के अंदर जैसा कि मेरे पूर्व वक्ताओं ने कहा, आदिवासी अंचल में कृषि महाविद्यालय का प्रारंभ होना वहां के छात्रों को बहुत बड़ा लाभ मिलेगा क्योंकि वहां से बच्चे बाहर जाने में बच्चे हिचकते थे और कृषि को लेकर उनकी जो मांग थी और हमारे मिस्टर घोघरा जी जो हमारे वहां के लोकप्रिय एमएलए हैं, उनकी इच्छा थी कि मैं बजट के अंदर कृषि महाविद्यालय की घोषणा करूं और मुझे खुशी है कि आखिर में वो घोषणा हुई और आज हम सब यहां बैठे हुए हैं शुभारंभ के मुबारक मौके पर। मुझे इस बात की खुशी है कि हमेशा हमारी सरकार ने कृषि को लेकर, कृषि शिक्षा को लेकर और किसानों को लेकर बड़े-बड़े फैसले किए हैं और इसीलिए करीब 13 कॉलेज हमने दो साल के अंदर कृषि महाविद्यालय की स्थापना की मैंने घोषणा की है और इतिहास गवाह है कि हमारे देश के अंदर आजादी के बाद से ही कृषि को महत्व देने का प्रयास किया गया। पंडित जवाहर लाल नेहरू जब प्रथम प्रधानमंत्री बने थे, तबसे ही जो पंचवर्षीय योजना बनी प्रथम, उसमें भी मुझे जानकारी दी गई कि 45 पर्सेंट जो फंड था, वो कृषि, सामुदायिक विकास, सिंचाई व ऊर्जा क्षेत्र में खर्च किया गया। इसीलिए भाखड़ा नांगल बांध, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी परियोजना सिंचाई के लिए बनीं और इसीलिए प्रथम पंचवर्षीय योजना के बाद में सीधा ही 17 पर्सेंट का उत्पादन अधिक हो पाया क्योंकि पीएल-480 के अंतर्गत हम लोग गेहूं मंगाते थे, बचपन में याद होगा, कई लोगों को जो गेहूं अमेरिका से आता था, किस प्रकार से योजनाबद्ध तरीके से जो अगुवाई हुई कृषि के क्षेत्र में, उसके कारण से हम आत्मनिर्भर हो पाए और लालबहादुर शास्त्री जी के जमाने में, इंदिरा जी के जमाने में हरित क्रांति हुई और हम पूरी तरह आत्मनिर्भर बन गए। बड़ी-बड़ी संस्थाएं जो बहुत ही प्रतिष्ठित संस्थाएं हैं, इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन काउंसिल और एग्रीकल्चर जैसी संस्थाएं जो हैं उस वक्त में ही स्थापित की गईं। आज आईआईटी, आईआईएम, एम्स, इसरो आत्मनिर्भर बने। जो संस्थाएं उस वक्त में स्थापित हुईं इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन काउंसिल और एग्रीकल्चर, इन संस्थाओं ने अपनी एक अलग से पहचान बनाई। मैं बता रहा था कि आईआईटी, आईआईएम, एम्स जैसी बड़ी संस्थाएं भी बनाई गईं और मुझे खुशी है अभी हमारे वीसी साहब बता रहे थे राठौड़ साहब कि किस प्रकार से विश्वविद्यालय ने अपने प्रयासों से जो आईसीएआर की रैंक जो 51वीं थी, उसको 26वीं पर लेकर आए, उसके लिए राठौड़ साहब, उनके तमाम विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यगण बधाई के पात्र हैं और मुझे बताया गया है कि ये राजस्थान के अंदर भी प्रथम स्थान पर है उदयपुर का महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय क्योंकि हमने 5 विश्वविद्यालय खोले हैं कृषि के क्षेत्र में और संयोग ऐसा बैठा कि हमारे वक्त में ही, पिछली बार हम सरकार में थे तब हमने जोबनेर, जोधपुर, कोटा विश्वविद्यालय खोला। 20 साल पहले मुझे याद है कि जब हम सरकार में थे पहली बार मैं आया था, गुलाबचंद शक्तावत थे हमारे साथ में मंत्री और सीपी जोशी जी, इनकी मांग पर हम लोगों ने जो बीकानेर और उदयपुर के बीच में जो विवाद खड़ा हुआ, तब हमें याद है कि हमने पुनः विश्वविद्यालय की स्थापना की उदयपुर के अंदर। इस प्रकार से आज 5 विश्वविद्यालय राजस्थान में कृषि के क्षेत्र में हैं और पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय बीकानेर के अंदर है, पर आपका विश्वविद्यालय प्रथम स्थान पर है, इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई। दूसरा जो आपने अभी जो रिपोर्ट पेश की, वो भी आपने बहुत ही शानदार तरीके से सभी उपलब्धियों को आपने सभी के सामने रखा, उसके लिए भी मैं आपको बधाई देना चाहता हूं और सबसे बड़ी बधाई हमारे गवर्नर साहब को है, जबसे वो राज्यपाल बनकर आए हैं राजस्थान में, मैं समझता हूं कि व्यक्तिगत रुचि लेकर वे विश्वविद्यालयी स्तर पर ये प्रयास कर रहे हैं कि किस प्रकार से विश्वविद्यालयों के स्तर में सुधार हो, किस प्रकार से विश्वविद्यालय का मैनेजमेंट अच्छा हो और वो खुद रुचि लेते हैं


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