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पितरों की तृप्ति के लिए करें विधिपूर्वक श्राद्ध
  • 151150206 - NAVNEET KUMAR 0



शाहजहांपुर। देश काल में विधिपूर्वक और श्रद्धा से पितरों के लिए किए कार्यों को श्राद्ध कहा जाता है। देश का अर्थ स्थान है। काल का अर्थ समय है और पात्र का अर्थ वह ब्राह्मण है। तीनों को भली-भांति समझकर ही श्राद्ध करना चाहिए। कहा जाता है कि विधिपूर्वक किए श्राद्ध से पितरों की तृप्ति होती है और श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को यश और कीर्ति मिलती है।नैमिषारण्य से शिक्षा प्राप्त आचार्य सत्यम दीक्षित ने पितृ पक्ष के महत्व के बारे में बताया कि ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। हिंदू ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है। पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजन से श्राद्ध ग्रहण कर सकें।श्राद्ध क्या है और क्या दिया जाता है
पंडित ने बताया कि ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम उचित विधि द्वारा ब्राह्मणों को श्राद्ध पूर्वक दिया जाए वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध के माध्यम से पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है। पिंड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है। बताया कि श्राद्ध में तिल, चावल, जौ आदि को अधिक महत्व दिया जाता है। साथ ही पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि श्राद्ध का अधिकार केवल योग्य ब्राह्मणों को है। श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्व होता है। श्राद्ध में पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोज्य पदार्थ को पिंडी रूप में अर्पित करना चाहिए। श्राद्ध का अधिकार पुत्र, भाई, पौत्र, प्रपौत्र समेत महिलाओं को भी होता है।
श्राद्ध में कौओं का महत्व
बताया कि कौआ को पितरों का रूप माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितर कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं। अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वह रुष्ट हो जाते हैं। इस कारण श्राद्ध का प्रथम अंश कौओं को दिया जाता है।
श्राद्ध देना क्यों जरूरी
मान्यता है कि अगर पितर रुष्ट हो जाएं तो मनुष्य को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पितरों की अशांति के कारण धन हानि और संतान पक्ष से समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। संतान-हीनता के मामलों में ज्योतिष पितृ दोष को अवश्य देखते हैं। ऐसे लोगों को पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।


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