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बृद्धआश्रम में मनाया गया अल्ज़ाइमर दिवस
  • 151110069 - SANJAY SINGH 0



यूपी के जनपद कासगंज में राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के पहले दिन वृद्धाआश्रम में विशेष शिविर का आयोजित हुआ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नोडल डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि वृद्धाआश्रम में शिविर लगाकर बुजुर्गों की कॉउंसलिंग की गई। उनको अल्ज़ाइमर दिवस के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि जिलाअस्पताल में स्वास्थ्य परीक्षण व मानसिक रोग की ओपीडी सोमवार से गुरुवार तक होती है।

डीपीएम पवन कुमार ने बताया कि शिविर में बुजुर्गों को अल्ज़ाइमर से बचने और उसके लक्षणों के बारे में बताया गया कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियां शरीर में पनपने लगती हैं, इन्हीं में से एक बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदत (अल्जाइमर्स -डिमेंशिया) है। इस बीमारी से जूझ रहे बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सही समय पर इसकी पहचान कर उपचार कराया जाए तो इसे रोका जा सकता है। इस बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए हर साल सितंबर माह में विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है।

जिला अस्पताल के साइकेट्रिक नर्सिंग ऑफिसरअरुण कुमार शर्मा ने बताया कि आज से 26 सितंबर तक चलने वाले राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के तहत जनपद में विभिन्न जगहों जैसे नर्सिंग कॉलेज, अर्वन स्लम्स, जिला अस्पताल, एनजीओ, आदि जगहों पर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये इस बीमारी की सही पहचान और उससे बचाव के उपायों के बारे में जागरुक किया जाएगा।


साइकेट्रिक नर्सिंग ऑफिसर अरुण कुमार ने बताया कि बुजुर्गों अल्ज़ाइमर बीमारी एक ऐसी बीमारी है जो लगातार बढ़ती है, जिसमें बुढ़ापे में याददाश्त का लगातार कमजोर होना, थोड़ी देर पहले हुई घटना को भूल जाना, बातचीत करने में असमर्थता प्रतिक्रिया देने में विलंब आदि इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं | इस बीमारी से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनके प्रति अपनापन रखें। अकेलापन न महसूस होने दें, समय निकालकर उनसे बातें करें, उनकी बातों को नजरंदाज बिल्कुल न करें बल्कि उनको ध्यान से सुनें । ऐसे कुछ उपाय करें कि उनका मन व्यस्त रहे, उनकी मनपसंद की चीजों का ख्याल रखें । निर्धारित समय पर उनके सोने-जागने, नाश्ता व भोजन की व्यवस्था का ध्यान रखें । अमूमन 65 साल की उम्र के बाद लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है या यूँ कहें कि नौकरी-पेशा से सेवानिवृत्ति के बाद यह समस्या पैदा होती है । इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही इसके लक्षण नजर आएं तो जल्दी से जल्दी चिकित्सक से परामर्श करें ताकि समय रहते उनको उस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सके । इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में से एक है कि जीवन शैली में एकदम से बदलाव आना जैसे- शरीर में आलसपन का आना, लोगों से बात करने से कतराना, बीमारियों को नजरंदाज करना, भरपूर नींद का न आना, किसी पर भी शक करना आदि।

मनोरोग चिकित्सक डॉ यश कुमार, ने डिमोनेशिया के लक्षणों के बारे में बताया कि रोजमर्रा की चीजों को भूल जाना, व्यवहार में परिवर्तन आना, रोज घटने वाली घटनाओं को भूल जाना, दैनिक कार्य न कर पाना आदि इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं । इसके चलते बातचीत करने में दिक्कत आती है या किसी भी विषय में प्रतिक्रिया देने में विलम्ब होता है। डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रोल, सिर की चोट, ब्रेन स्ट्रोक, एनीमिया और कुपोषण के अलावा नशे की लत होने के चलते भी इस बीमारी के चपेट में आने की सम्भावना रहती है।

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जागरूक बनें, डिमेंशिया दूर करें :
-इस भूलने की बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से अपने को स्वस्थ रखें। नकारात्मक विचारों को मन पर प्रभावी न होने दें और सकारात्मक विचारों से मन को प्रसन्न बनाएं। पसंद का संगीत सुनने, गाना गाने, खाना बनाने, बागवानी करने, खेलकूद आदि जिसमें सबसे अधिक रुचि हो, उसमें मन लगायें तो यह बीमारी नहीं घेर सकती। इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम और योगा को अपनाकर इससे बचा जा सकता है। दिनचर्या को नियमित रखें क्योंकि अनियमित दिनचर्या इस बीमारी को बढ़ाती है । धूम्रपान और शराब से पूरी तरह से दूरी बनाना ही हित में रहेगा । यदि डायबिटीज या कोलेस्ट्रोल जैसी बीमारी है तो उसको नियंत्रित रखने की कोशिश करें ।जिन बुजुर्गों को डिमेंशिया की प्रॉब्लम है, उनके परिवार के सदस्यों को उनसे नम्र व्यवहार करना चाहिए। उनसे बच्चों की तरह व्यवहार करें। इसमें जिस तरह से याददाश्त जाती है, वैसे ही वापस भी आ सकती है। कासगंज से संजय सिंह की रिपोर्ट 151110069,

 यूपी के जनपद कासगंज में राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के पहले दिन वृद्धाआश्रम में विशेष शिविर का आयोजित हुआ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नोडल डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि वृद्धाआश्रम में शिविर लगाकर बुजुर्गों की कॉउंसलिंग की गई। उनको अल्ज़ाइमर दिवस के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि जिलाअस्पताल में स्वास्थ्य परीक्षण व मानसिक रोग की ओपीडी सोमवार से गुरुवार तक होती है।

 

डीपीएम पवन कुमार ने बताया कि शिविर में बुजुर्गों को अल्ज़ाइमर से बचने और उसके लक्षणों के बारे में बताया गया कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियां शरीर में पनपने लगती हैं, इन्हीं में से एक बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदत (अल्जाइमर्स -डिमेंशिया) है। इस बीमारी से जूझ रहे बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सही समय पर इसकी पहचान कर उपचार कराया जाए तो इसे रोका जा सकता है। इस बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए हर साल सितंबर माह में विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है।

 

जिला अस्पताल के साइकेट्रिक नर्सिंग ऑफिसरअरुण कुमार शर्मा ने बताया कि आज से 26 सितंबर तक चलने वाले राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के तहत जनपद में विभिन्न जगहों जैसे नर्सिंग कॉलेज, अर्वन स्लम्स, जिला अस्पताल, एनजीओ, आदि जगहों पर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये इस बीमारी की सही पहचान और उससे बचाव के उपायों के बारे में जागरुक किया जाएगा।

 

 

साइकेट्रिक नर्सिंग ऑफिसर अरुण कुमार ने बताया कि बुजुर्गों अल्ज़ाइमर बीमारी एक ऐसी बीमारी है जो लगातार बढ़ती है, जिसमें बुढ़ापे में याददाश्त का लगातार कमजोर होना, थोड़ी देर पहले हुई घटना को भूल जाना, बातचीत करने में असमर्थता प्रतिक्रिया देने में विलंब आदि इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं | इस बीमारी से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनके प्रति अपनापन रखें। अकेलापन न महसूस होने दें, समय निकालकर उनसे बातें करें, उनकी बातों को नजरंदाज बिल्कुल न करें बल्कि उनको ध्यान से सुनें । ऐसे कुछ उपाय करें कि उनका मन व्यस्त रहे, उनकी मनपसंद की चीजों का ख्याल रखें । निर्धारित समय पर उनके सोने-जागने, नाश्ता व भोजन की व्यवस्था का ध्यान रखें । अमूमन 65 साल की उम्र के बाद लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है या यूँ कहें कि नौकरी-पेशा से सेवानिवृत्ति के बाद यह समस्या पैदा होती है । इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही इसके लक्षण नजर आएं तो जल्दी से जल्दी चिकित्सक से परामर्श करें ताकि समय रहते उनको उस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सके । इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में से एक है कि जीवन शैली में एकदम से बदलाव आना जैसे- शरीर में आलसपन का आना, लोगों से बात करने से कतराना, बीमारियों को नजरंदाज करना, भरपूर नींद का न आना, किसी पर भी शक करना आदि।

 

मनोरोग चिकित्सक डॉ यश कुमार, ने डिमोनेशिया के लक्षणों के बारे में बताया कि रोजमर्रा की चीजों को भूल जाना, व्यवहार में परिवर्तन आना, रोज घटने वाली घटनाओं को भूल जाना, दैनिक कार्य न कर पाना आदि इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं । इसके चलते बातचीत करने में दिक्कत आती है या किसी भी विषय में प्रतिक्रिया देने में विलम्ब होता है। डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रोल, सिर की चोट, ब्रेन स्ट्रोक, एनीमिया और कुपोषण के अलावा नशे की लत होने के चलते भी इस बीमारी के चपेट में आने की सम्भावना रहती है।

फ़ास्ट न्यूज इंडिया जिला संवाददाता कासगंज संजय सिंह 151110069

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