मेरठ. प्रतिवर्ष भाद्र पक्ष की पूर्णिमा तिथि से अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक पितृ पक्ष मनाए जाते हैं। इन दिनों किसी भी शुभ कार्य को करने की सलाह न तो ज्योतिष शास्त्र देता है और न किसी प्रकार की बड़ी खरीद की जाती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यह पितृ पक्ष क्या है और पितृ कौन कहलाते हैं। इसका महत्व क्या है। पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार, पितृ यानी हमारे पूर्वज जो अब इस दुनिया में जीवित नहीं हैं उनके प्रति आस्था, सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करना ही पितृ पक्ष कहलाता है। परागमन परिजनों की आत्माओं की शांति उनकी मुक्ति के लिए श्रद्धापूर्वक की गई क्रिया का नाम ही श्राद्ध है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज जो अब दूसरे लोक में गमन कर रहे हैं, वे अपने परिजनों के पास इस लोक में मुक्ति और भोजन प्राप्त करने के लिए उनसे मिलने आते हैं। इस कारण से पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है।
कौन कहलाते हैं पितर
ऐसे व्यक्ति जो इस धरती पर जन्म लेने के बाद जीवित नहीं है, उन्हें पितर कहते हैं। ये विवाहित हों या अविवाहित, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए भाद्रपद महीने के पितृ पक्ष में उनको तर्पण दिया जाता है। पितर पक्ष समाप्त होते ही परिजनों को आशीर्वाद देते हुए पितरगण वापस मृत्युलोक चले जाते हैं।
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ज्योतिष शास्त्र में पितृ पक्ष
पंडित भारत भूषण के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र में देखा जाए तो जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करते हैं तब ही पितृ पक्ष आरंभ होता है। इस अवधि में सूर्य कन्या राशि पर गोचर करता है। इसलिए इसे कनागत भी कहते हैं। हिंदू धर्म में पितृ यानी हमारे पूर्वज जो अब इस दुनिया में जीवित नहीं हैं उनके प्रति आस्था, सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करना ही पितृ पक्ष कहलाता है। दिवंगत प्रियजनों की आत्माओं की तृप्ति, मुक्ति और श्रद्धा पूर्वक की गई क्रिया का नाम ही श्राद्ध है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज जो अब इस दुनिया में नहीं हैं वे अपने परिजनों के पास मुक्ति और भोजन प्राप्त करने के लिए उनसे मिलने आते हैं। इस कारण से पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है।
ज्योतिष शास्त्र में पितृ पक्ष
ज्योतिष शास्त्र के नजरिये से अगर देखा जाए तो जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, तब ही पितृ पक्ष आरंभ होता है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस अवधि में सूर्य कन्या राशि पर गोचर करता है। इसलिए इसे कनागत भी कहते हैं। जिनकी मृत्यु तिथि मालूम नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है। इसे सर्वपितृ अमावस या सर्वपितृ श्राद्ध भी कहते हैं। यह एक श्रद्धा पर्व है। इस बहाने अपने पूर्वजों को याद करने का एक रास्ता है।
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