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अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने की प्रेस वार्ता*
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*अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने की प्रेस वार्ता* 

 

 

 

 *23 सितंबर, 2021 को घूरपुर  सब्जी मंडी, प्रयागराज में एक किसान पंचायत* का आयोजन करेगा, जिसमें पिछले साल पारित 3 किसान विरोधी, कॉर्पाेरेट पक्षधर कृषि कानूनों को निरस्त करने, बिजली विधेयक 2021 को वापस लेने और सभी फसलों की सी-2+50 फीसदी पर एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग उठाई जाएगी।

 

बैठक में इलाहाबाद जिले में जमुना नदी में रेत खनन में, नावों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले यूपी सरकार के 24 जून 2019 के आदेश को वापस लेने की मांग भी उठाई जाएगी, जिसने लाखों रेत खदान श्रमिकों को उनकी आजीविका के साधन से वंचित कर दिया है।

 

पंचायत में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, उर्वरक की कीमतों को आधा करने की मांग भी उठेगी। कॉरपोरेट की सेवा में मदद करने के लिए, सरकार लोगों की आय से अपनी वसूली को बढ़ा रही है। पिछले सप्ताह सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र से बकाया की वसूली स्थगित कर दी है और बैंक खातों से 2 लाख करोड़ रुपये तक के कॉर्पोरेट बकाया को भी हटा दिया है।

 

पंचायत के मुख्य वक्ता राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला, कीर्ति किसान यूनियन, पंजाब के उपाध्यक्ष और 40 सदस्य एसकेएम कमेटी के सदस्य, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के उपाध्यक्ष श्री राजेश चौहान और डॉ आशीष मित्तल महासचिव अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, एआईकेएमएस होंगे।

 

विभिन्न किसान यूनियनों के नेता, रेत खदान श्रमिक नेता, ट्रेड यूनियन और अन्य संगठन सभा को संबोधित करेंगे।

 

घूरपुर में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ आशीष मित्तल ने बताया कि यह कानून पूर्वी उत्तर प्रदेश के लघु व सीमांत किसानों व खेत मजदूरों के लिए खास तौर से घातक है। 

 

अनुबंध खेती अधिनियम को लागू करके, सरकार और उसकी प्रशासनिक - पुलिस मशीनरी, निर्दिष्ट क्षेत्रों के किसानों को केवल उन्हीं फसलों को बोने के लिए मजबूर करेंगी जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों सहित बड़ी कंपनियों के लिए व्यावसायिक मूल्य की हैं। इस इलाके के किसान जीवित रहने के लिए अनाज पैदा करते हैं। वे अनाज नहीं उगा पाएंगे। उन्हें कंपनी से उच्च लागत पर इनपुट और मशीनीकृत सेवाएं खरीदनी होंगी जिससे इनपुट लागत बढ़ेगी और कृषि अलाभकारी हो जाएगी। ठेके में शामिल खेत बटाईदारी के लिए उपलब्ध नहीं बचेंगे। पूर्वी उत्तर प्रदेश में 20 से 30% खेती बटाईदारी से होती है। मशीनीकृत सेवाओं से खेती मे श्रम कार्य घट जाएगा और पशुपालन के काम पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इस इलाके के आधे ग्रामीण खेत मजदूरी व पशुपालन पर निर्भर है।

नया मंडी अधिनियम लागू करके, सरकार एमएसपी पर फसल खरीद बंद कर देगी और ये कंपनियां केवल सबसे कम उपलब्ध ऑनलाइन कीमतों की पेशकश करेंगी जिससे सबसे ज्यादा असर सब्जी उगाने वाले छोटे किसानों पर पड़ेगा। सरकारी खरीद समाप्त होने से राशन में अनाज मिलना भी बंद हो जाएगा।

आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम भोजन को जीवन के लिए आवश्यक होने की सूचीे से हटा देता है, उनकी कीमतों को हर साल 1.5 गुना बढ़ाने की अनुमति देता है और कॉरपोरेट्स को खाद्य वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी करने की अनुमति देता है।

इन मांगों को लेकर आंदोलन तेज करने की नींव पंचायत रखेगी।


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