आजमगढ़. अल्जाइमर यानि भूलने वाली बीमारी। यह बीमारी लगातार बढ़ रही है। इस बीमारी से ग्रसित लोग रोजमर्रा की बातों को भूलने लगते हैं। पहले इसे बुजुर्गो की बीमारी कहा जाता था लेकिन बदलते दौर में यह बीमारी युवा अवस्था में ही लोगों को चपेट में ले रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक भूलना सामान्य प्रक्रिया होने के साथ-साथ बीमारी भी है, जिसे अल्जामइर कहा जाता है। इसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। कारण कि यह रोगी के जीवन को असामान्य कर देती है। चिकित्सकों का मानना हैं बीमारी के लक्षण दिखते ही तत्काल उपचार कराना चाहिए। इससे इस बीमारी का बढ़ने से रोका जा सकता है।
बता दें कि प्रतिवर्ष 21 सितंबर को लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। यह दिवस 2012 से मनाया जा रहा है। जिला महिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. विनय कुमार सिंह यादव बताते हैं कि अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार है। जिसके परिणामस्वरूप यादाश्त एवं सोचने की शक्ति में कम होती जाती हैं। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जिसके कारण यादाश्त खोना, यादाश्त में बदलाव, अनियमित व्यवहार एवं शारीरिक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचता हैं।
उन्होंने बताया कि यह रोग धीरे-धीरे शुरू होता है लेकिन समय के साथ गंभीर हो जाता है। अल्जाइमर की शुरूआत में हालिया घटनाओं को याद रखने में कठिनाई आती है। अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति अक्सर दिनचर्या के काम, वस्तु आदि को भूलने लगता है। धीरे धीरे उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है। यहां तक कि तत्काल की बातों को भी वह भूलने लगता है। यह रोग अधिकतर वृद्धों को प्रभावित करता है लेकिन अब युवाओं में भी इसके लक्षण दिखने लगे हैं। इसलिए जरूरी है कि लक्षण आने पर तत्काल उपचार शुरू किया जाय। नही ंतो यह समस्या बढ़ती जाती है।