सिलवासा. वर्षा जल संग्रह के लिए प्रशासन के प्रयास धरातल पर नहीं दिख रहे हैं। जल संचय को लेकर केन्द्र सरकार भले गंभीर है, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा जलसंचयन की व्यवस्था कागजी साबित होती दिख रही है। मानसून में धुंआधार बारिश के बाद गांवों में वर्षभर के लिए बारिश जल संचयन की व्यवस्था नहीं हैं। बरसात का अधिकांश पानी समुद्र में बहकर चला जाता है। मधुबन डेम में कुल वर्षा जल का सिर्फ 1/6 अंश जल समावेशित की क्षमता है। डेम अधिकारियों के अनुसार इस साल कम बारिश के बावजूद डेम में कुल संग्रहित पानी का 4 गुणा वर्षा जल डिस्चार्ज हुआ है। सीजन में थोड़ी सी वर्षा में ही डेम से पानी डिस्चार्ज करना पड़ा है।
पौराणिक तालाब
नरोली में पौराणिक तालाब के निर्माण से पेयजल व सिंचाई की जरूरत पूरी हो सकती है। नरोली गांव में करीब 200 वर्ष पुराना पौराणिक तालाब समाप्त होने से पानी की समस्या बढ़ी है। यह तालाब नरोली के मध्य 35 एकड़ जमीन पर था। प्रबंधन के अभाव में आसपास के लोगों ने तालाब पर कब्जा करके इमारते खड़ी कर दी। यह तालाब बनने से नरोली व खरड़पाड़ा विस्तार मेंं पेयजल और सिंचाई की कमी नहीं रहेगी।