प्रदेश के तीसरे बड़े शहर कोटा में नगर विकास न्यास (यूआईटी) जहां खुद नाले की जमीन पर योजना काटने पर अड़ा है, वहीं न्यास के अफसरों ने अतिक्रमियों को भी नालों पर अतिक्रमण करने की छूट दे रखी है। इसकी बानगी देखनी है तो जवाहर नगर से गुजर रहा बरसाती नाला ही देख लीजिए। इस बरसाती नाले का गला न्यास के अफसरों की ढिलाई के कारण ही घोंटा गया है। न्यास के अफसर देखते रहे और अतिक्रमी बेखौफ होकर नाले को कब्जाते रहे। हालात यह है कि 200 फीट का नाला अब 20 फीट का रह गया है। बीते 25 साल में भी न्यास के अफसर इस नाले पर बने अवैध निर्माणों को हटा नहीं पाए।
जवाहर नगर क्षेत्र का बरसाती नाला अतिक्रमण का दंश झेल रहा है। हर साल जवाहर नगर में बारिश के दिनों में नालों में उफान आने से जलभराव की स्थिति बनती है। इससे कुछ दिनों के लिए व्यापारिक गतिविधियों पर ब्रेक लग जाता है।
व्यापारी बोले, नेता व अफसर नहीं सुन रहे-
क्षेत्र के लोगों का दर्द है कि भाजपा व कांग्रेस की कई सरकारें आई और चली गई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया। जलभराव का खमियाजा आमजन को उठाना पड़ता है। कोचिंग क्षेत्र होने के कारण जवाहर नगर डिस्ट्रिक्ट सेंटर में दुकानें भी बनी हुई है। घरों व दुकानों में पानी घुस जाता है। नाले पर ही कई प्रभावशाली लोगों ने अतिक्रमण कर मकान व मैरिज हॉल तक बना दिए हैं। व्यापारियों का कहना है कि न्यास के अफसरों व जनप्रतिनिधियों को कई बार शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन कोई नहीं सुन रहा।
बह जाती है मुख्य सड़क-
नाले का पानी पूरे जवाहर नगर में भर जाता है। यहां मुख्य सड़क बह जाती है। इस बार भी जलभराव होने से पूरी सड़क बह गई। बड़े-बड़े गड्ढों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। पानी भरने से व्यापारियों का माल खराब होता है।