गाजियाबाद। कुर्की का आदेश होने के बाद सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आरोपी लोनी नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन मनोज धामा सहित तीनों आरोपियों को शुक्रवार को कोर्ट में समर्पण कर दिया। एसीजेएम प्रथम की कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। सुनवाई के बाद अदालत ने तीनों की अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी। अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। मामले में तीन आरोपियों ने बुधवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। पूर्व चेयरमैन समेत सभी छह आरोपी डेढ़ साल से फरार थे।
पूर्व बार सचिव व पीड़िता के अधिवक्ता परविंदर नागर ने बताया कि शुक्रवार को लोनी नगर पालिका के पति एवं पूर्व चेयरमैन मनोज धामा, शोभित मलिक व दीपक धामा ने समर्पण कर दिया। तीन अन्य आरोपी विकास, सत्येंद्र और राहुल ने बुधवार को समर्पण कर दिया था। 15 सितंबर को हुए थे कुर्की के आदेश
सामूहिक दुष्कर्म मामले में डेढ़ साल से पेश न होने पर मनोज धामा सहित छह आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने का अदालत ने आदेश दिया था। 13 जुलाई को हाईकोर्ट ने निचली अदालत को एक साल में मामला निस्तारित करने का आदेश दिया था। अदालत ने 11 अगस्त को कुर्की की कार्रवाई करने का आदेश जारी किया था। इसके बाद भी आरोपी अदालत में पेश नहीं हुए और पुलिस भी किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं कर पाई थी। 15 सितंबर को अदालत ने पूर्व चेयरमैन मनोज धामा, शोभित और दीपक धामा के खिलाफ कुर्की का आदेश दिया, जबकि विकास, सतेंद्र और राहुल धामा ने कोर्ट में समर्पण कर दिया था।
2018 में दुष्कर्म व 2019 में सामूहिक दुष्कर्म का आरोप
पीड़िता के अधिवक्ता परविंदर नागर ने बताया कि 17 नवंबर 2018 में लोनी निवासी महिला ने इंद्रजीत नामक युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर लोनी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने इंद्रजीत को जेल भेज दिया था। 21 फरवरी 2019 को पीड़िता लोनी बार्डर थाने के इंस्पेक्टर और डिप्टी एसपी से मिलकर अपने घर लौटी थी। आरोप है कि इसी दौरान मनोज धामा अपने साथियों शोभित मलिक, सत्येंद्र चौहान, विकास पवार, राहुल, दीपक धामा युवती के घर पहुंचा। उन्होंने गाली-गलौज कर कहा कि अब हम तुम्हें इस लायक नहीं छोड़ेंगे कि तुम किसी के सामने हमारी शिकायत कर सके। युवती ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। महिला ने मामले की पुलिस से शिकायत की, लेकिन केस दर्ज नहीं किया गया। पीड़िता ने 17 मार्च 2019 को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने 28 मार्च 2019 को सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। इसके बावजूद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो पीड़िता ने 10 मई 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 21 मई को अदालत ने एसएसपी को कार्रवाई करने का आदेश दिए थे।