वाराणसी। केंद्र राज्य सरकारें जहां उद्योग स्थापना को लेकर नई नई नीतियां बना रही है। उस पर काम भी किया जा रहा। परिणाम भी बेहतर सामने आ रहे है। अर्थव्यवस्था में मजबूती भी आ रही है। वहीं एग्रो पार्क करखियाव में 26 इकाइयां 2011 और 1016 से बंद पड़ी हैं। हालात ये है कि विभाग अब नोटिस भेजकर बंद होने का कारण पूछेगा। कुल मिलाकर इस पूरी अवधि में सरकार को राजस्व की क्षति हुई है। यूपी सीडा भी इस बात से इनकार नहीं कर रहा है कि इकाइयां चली होती तो निश्चित रूप से सरकार को लाभ हुआ होता। इसके बंद होने से रोजगार सृजन को भी बड़ा झटका लगा है।
यूपी सीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक आशीष नाथ बताते हैं कि बन्द इकाइयों के संचालकों को नोटिस देकर पूछना पड़ेगा की इकाइयां क्यों बंद है। स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। 2011 में दो और 2017 से 24 इकाइयां बन्द होने से राजस्व की क्षति हुई है। इसका आकलन किया जाएगा। हालांकि बंद करने की स्थिति में भी नियनानुसार राजस्व सरकार को प्राप्त होता रहे और लोगों को रोजगार मिलता रहे बंद इकाइयों को निरस्त नहीं तो कमसे कम हस्तांतरित तो किया ही जा सकता था। विभाग की माने तो उत्पादन में जो भी इकाइयां आ गयी तो फिर उद्यमी कभी- कभी बन्द भी कर देता है। लेकिन यह स्थिति उत्पादन विशेष पर निर्भर करता है।
अगर स्थायी रूप से कोई इकाई बंद हो गयी है तो विभाग के स्तर से निरस्त तो नहीं किया जा सकता है हां ट्रांसफर किया जा सकता है। विभाग किराये पर चलाने का सुझाव भी दे सकता है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। सबसे बडी बात तो यह है कि इकाइयों द्वारा सरकार को कितने के राजस्व की क्षति पहुंचाई है इसकी सटीक जानकारी न तो यूपी सीडा के पास है और न ही जिला उद्योग केंद्र के पास। बता दें कि जिलाधिकारी द्वारा गठित समिति की जांच में यह बात सामने आई है कि करखियाव में 26 इकाइयां उत्पादनरत नहीं हैं। वाराणसी से कृष्ण कुमार की रिपोर्ट 151115387