फॉरेंसिक साइंस में है बेहतर करियर -पारुल सिंह
यूपी वाराणसी। बात अपनों की हो या वास्तविक पहचान की या फिर अपराधियों को पकड़ने की। एक फॉरेंसिक साइंटिस्ट ही है जो हर जगह अपनी अहम भूमिका निभाता है। दुनिया भर में बढ़ रहे क्राइम के ग्राफ ने इसके एक्सपर्ट की मांग में भारी उछाल ला दिया है। चूंकि यह पूरी तरह साइंस की रिसर्च वाली फील्ड है, इसलिए साइंटिस्ट, स्कॉलर्स और रिसर्चरों को भी यह खूब भा रहा है, पर इस फील्ड में एंट्रेस से पहले कुछ अहम बातों पर गौर करना जरूरी है। उक्त बातें वाराणसी कोतवाली थाना क्षेत्र के दारानगर की होनहार फॉरेंसिक साइंस की क्षात्रा पारुल सिंह ने कही। बता दे कि पारुल सिंह पुत्री अंजनी कुमार सिंह एक भाई और दो बहनों में सबसे छोटी है। बचन से ही खेलो में खोजों में रुचि रखती थी। वही रुचि उन्हें फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में ले गया और उन्होंने 76% अंक प्राप्त कर माता पिता भाई बहन संग पूरे काशी वाशियों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया। पारुल सिंह ने प्रभाकर द्विवेदी संग एक इंटरव्यू में अपनी अनुभव शेयर करते हुए कही की फॉरेंसिक साइंस का यूज क्रिमिनल की खोज करने के लिए किया जाता है। कभी-कभी तो ये ही डीएनए जांच के द्वारा दो बिछुड़ों को भी मिलाता है। अहम बात यह है कि अब इसमें काफी नई टेक्नॉलजी का यूज भी होने लगा है। इसके एक्सपर्ट क्राइम स्पॉट से प्रूव इकट्ठा करते हैं और फिर उन्हें सबूत के रूप में कोर्ट में पेश किया जाता है, ताकि कानून का राज कायम रहे। पारुल सिंह ने कहा यह क्षेत्र उन लोगों के लिए बेहतर है, जो जिज्ञासु और साहसिक कार्यों में दिलचस्पी रखते हैं। दरअसल, इस क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोगों के लिए चुनौती हर कदम पर मौजूद होता है। आपराधिक स्थलों पर मौजूद सबूतों (शारीरिक प्रमाणों) का विश्लेषण किया जाता है। फिर उसे दोषी व्यक्ति (सस्पेक्ट) से तुलना कर, कोर्ट के सामने सबसे मजबूत प्रूफ को पेश किया जाता है। इससे आपके अंदर चीजों को समझने की क्वॉलिटी होनी जरूरी है। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने लखनऊ में 1 अगस्त 21 को फॉरेंसिक साइंस कॉलेज का उद्घाटन कर यूपी के युवाओं को एक नया तोफा दिया है। पारुल सिंह ने कहा युवाओं को यह क्षेत्र अवश्य चुनना चाहिये। वाराणसी से प्रभाकर द्विवेदी की रिपोर्ट 151000001