जलालपुर। सरकार का नारा लोटा बोतल बंद करो शौचालय का प्रबंध करो बेमानी साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बने अधिकांश सामुदायिक शौचालयों में कई जहां अधूरे पड़े हैं वहीं कई में ताला पड़ा है। इतना ही नहीं इन शौचालयों की साफ सफाई के नाम पर भी हजारों के कागजी खर्च का खेल भी चल रहा है। घटिया सामग्री का प्रयोग होने के कारण अधिकांश शौचालय तो बनने के बाद ही बदहाल नजर आने लगे हैं। स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत खुले में शौच रोकने के लिए सरकार ने ग्राम पंचायतों में पहले नागरिकों को व्यक्तिगत शौचालय का लाभ दिया। इसके बाद गांवों में आबादी को दृष्टिगत रखते हुए लाखों का खर्च कर सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कार्य कराया जा रहा है ताकि ग्रामीण खुले में शौच की आदत से छुटकारा पा सके। जलालपुर विकास खंड के 115 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें से 98 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का कार्य पूर्ण हो चुका है और 17 ग्राम पंचायतों में निर्माण का कार्य चल रहा है। 98 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष 85 ग्राम पंचायतों में साफ सफाई व कर्मचारियों की तैनाती के लिए 27 हजार की धनराशि विकास खंड कार्यालय से समूह खातों में भेजे जा चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक किसी भी सामुदायिक शौचालय के निर्माण कार्य व संचालन की देखरेख नहीं हो पा रही है।इसमें चार सीटर शौचालयों की लागत 5.71 लाख जबकि दो सीटर की लागत 2.10 लाख है। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते ग्राम पंचायतों में लाखों खर्च कर बने सामुदायिक शौचालय नागरिकों का अपना लाभ नहीं दे पा रहे हैं। कहीं सामुदायिक शौचालयों में ताला लटक रहा है, तो कहीं साफ सफाई के अभाव में बनने के बाद भी निष्प्रयोज्य साबित हो रहे हैं। इस संबंध में सहायक खंड विकास अधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने का कहना है कि नागरिकों को लगातार सामुदायिक शौचालयों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यदि कहीं मनमानी हो रही होगी तो संबंधित के विरुद्घ कार्रवाई की जाएगी।