भोपाल। मैंने अपनी जिंदगी में कभी कोई लक्ष्य तय नहीं किया था। मैं जन्म से ही दृष्टि बाधित थी तो मैंने इसे ईश्वर की इच्छा समझकर कबूल कर लिया। मेरा सिर्फ इतना ही सपना था कि पढ़ाई कर खुद के पैरों पर खड़ी हो सकूं। गेम खेलने का तो कभी जीवन में सोचा ही नहीं था। 2017 में जब जूडो खेलना शुरू किया तो जिंदगी का अंधियारा धीरे-धीरे मिटने लगा। अब मेहनत और लगन से जीते मेडल की चमक ही मेरी जीवन में उजाला फैला रहे हैं। यह कहना है कि जूडो खिलाड़ी पूनम शर्मा का।
एमएसडब्ल्यू की पढ़ाई कर रही पूनम में बताया कि मेरे बड़े भाई नरेश पुलिस में हैं। 2017 में उन्होंने मेरे और मेरे दिव्यांग भाई नीरज के बारे में सीएसपी बिट्टू शर्मा को बताया तो उन्होंने हमें मिलने बुलाया। उन्होंने ना सिर्फ हमारा हौसला बढ़ाया बल्कि अगले ही दिन से उन्होंने हमें ट्रेनिंग देना भी शुरू कर दी। जल्द ही उनके पति प्रवीण भटेले सर ने श्री ब्लिस मिशन फॉर पैरा एण्ड ब्राइट अकादमी शुरू की। मैं खेलने से डर रही थी कि कहीं चोट ना लग जाए, प्रवीण सर खुद की आंखों पर पट्टी बांधकर हमारे साथ बाउट करते। इससे मेरे इरादे मजबूत हुए। अकादमी में दिव्यांग खिलाड़ियों ने ट्रेनिंग शुरू की।